- एक हिस्सा करे अनुसंधान, दूसरा देखे कानून-व्यवस्था
हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने एक अहम फैसले में सरकार को आदेश दिया है कि राज्य की पुलिस को दो हिस्सों में बांट दिया जाए। एक हिस्सा अपराधों का अनुसंधान करे और दूसरा कानून व्यवस्था संभाले। कानूनविद् मानते हैं, इससे अपराधों पर नियंत्रण होगा और कमजोर चार्जशीट का फायदा उठाकर कानून से छूट नहीं पाएंगे।
जस्टिस एसएल कोचर और शुभदा वाघमारे की युगलपीठ ने यह फैसला एडवोकेट संजय मेहरा की जनहित याचिका पर दिया। अनुसंधान करने वाले हिस्से की जिम्मेदारी तय करते हुए कहा है कि वह थानों में दर्ज होने वाले अपराधोंं का गहराई से विश्लेषण करे और कोर्ट में उपस्थित होकर अपराधी को अंजाम तक पहुंचाए। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को यह भी कहा है कि पुलिस सुधार और अपराध नियंत्रण के संबंध में वे सुप्रीम कोर्ट में लंबित प्रकाशसिंह एवं अन्य की याचिका में पक्षकार बन सकते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से एडवोकेट सुनील जैन ने भी पैरवी की। बढ़ते अपराध और बिगड़ेल ट्रैफिक इंतजाम के मुद्दे पर 16 अप्रैल 2008 को दायर इस याचिका पर सुनवाई के दौरान जस्टिस आरएस गर्ग और एएम सप्रे की युगलपीठ नाराजगी जता चुके हैं।
सुप्रीम कोर्ट के भी हैं आदेश
एक लंबित याचिका में सुप्रीम कोर्ट केंद्र सरकार को निर्देश दे चुका है कि पहले चरण में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में पुलिस को दो हिस्सों में बांटकर कार्य किया जाए, ताकि अपराध काबू में रहें।
पुलिस बल की कमी का शपथ पत्र
जनहित याचिका में सुनवाई के दौरान 2008 में तत्कालीन इंदौर पुलिस महानिरीक्षण अनिल कुमार ने हाईकोर्ट में शपथ पत्र दिया था कि राज्य में पुलिस बल की भारी कमी है और कई थानों में बेहद कम पुलिसकर्मियों के साथ कार्य किया जा रहा है।
इंदौर में हो चुकी प्रयोग की घोषणा
इंदौर में प्रयोग के बतौर पुलिस के विभाजन के संबंध में दो माह पहले ही घोषणा हो चुकी है। गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने इंदौर में कहा था कि सेंट्रल कोतवाली, एमजी रोड और तुकोगंज थानों में यह व्यवस्था शुरू की जाएगी। इसके बाद दूसरे थानों में भी इसे अमल में लाएंगे।
पत्रिका : २४ अगस्त २०१०