सोमवार, 24 सितंबर 2012

गुजरात के राज्यपाल अनुमति दे सकते हैं तो मप्र में क्यों नहीं?

गुजरात के राज्यपाल अनुमति दे सकते हैं                 तो मप्र में क्यों नहीं?


मंजूरी के लिए अटके मामलों में गुजरात हाई कोर्ट का फैसला दिखा रहा रास्ता 

 

गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में एक ऐसा फैसला सुनाया जो मध्यप्रदेश के भ्रष्ट नेताओं और अफसरों पर शिकंजा कसने की राह आसान बनाता है। यह फैसला कहता है, यदि किसी मामले में प्रथम दृष्टया उच्च पदस्थ व्यक्ति द्वारा भ्रष्टाचार या अनियमितता करना साबित होता है, तो उसके खिलाफ राज्यपाल अभियोजन की अनुमति दे सकते हैं। इसके लिए कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार नहीं करना चाहिए। मध्यप्रदेश में कई मामले ऐसे हैं, जिनकी अनुमति राज्य सरकार के पास लंबित है और कुछ ऐसे भी हैं, जिनमें राजभवन भी कार्रवाई नहीं कर रहा।



यह है गुजरात की कहानी

400  करोड़ की चपत के मामले में कोर्ट की टिप्पणी
वर्ष 2008  में डी. मरडिया नामक शख्स ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करके आरोप लगाया कि मत्स्यपालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी ने बगैर नीलामी राज्य के बांधों और तालाबों में मछली मारने के ठेके चहेतों को दे दिए। इससे सरकार को 400 करोड़ रुपए की चपत लगी। कोर्ट ने ठेकों को निरस्त कर दिया और राज्यपाल को कहा कि सरकार से राय मशविरा करके मंत्री के खिलाफ अभियोजन को मंजूरी दें। सरकार ने अनुमति नहीं दी तो मरडिया फिर कोर्ट गए। कोर्ट ने सरकार से कहा, कैबिनेट बैठक बुलाई जाए और प्रोसीडिंग राज्यपाल को भेजें। इसके बाद राज्यपाल कमला बेनीवाल ने मंत्री के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी दी। इस मंजूरी को मंत्री सोलंकी ने हाई कोर्ट में यह कहते हुए चुनौती दी कि संसदीय ढांचे में मंत्री के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी देने का अधिकार मंत्रिपरिषद को है, न कि राज्यपाल को। मंत्री की यह अर्जी कोर्ट ने ऊपर लिखी गई टिप्पणी करते हुए खारिज कर दी। अब वहां मंत्री के खिलाफ भ्रष्टाचार का केस चलाया जाएगा।

हाई कोर्ट ने यह कहा
प्रथम दृष्टि में यदि किसी उच्च पदस्थ व्यक्ति के खिलाफ अपराध होना पाया जाए और उसके खिलाफ अभियोजन की अनुमति को रोका या टाला जाए तो यह लोकतंत्र के लिए नुकसानदायक है। ऐसा होता है तो उच्च पदस्थ व्यक्ति को अभियोजन चलाने की अनुमति मिलने का डर ही नहीं रहेगा और वे कानून को बेखौफ तोड़ते रहेंगे।
- जस्टिस राजेश एस. शुक्ला, हाई कोर्ट, गुजरात



ऐसा है मध्यप्रदेश का हाल

गरीबों की पेंशन घोटाले का मामला नजरअंदाज

वर्ष 2004 में इंदौर नगर निगम में भारत सरकार की राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में 33 करोड़ रुपए का घोटाला हुआ। कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने विशेष न्यायालय में तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय, नंदानगर साख संस्था अध्यक्ष रमेश मेंदोला, महापौर परिषद सदस्यों समेत 14 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का केस दायर किया। आरोप था कि विजयवर्गीय की अगुवाई वाली महापौर परिषद ने व्यवस्था से परे जाकर नंदानगर साख संस्था के जरिए पेंशन वितरित करवाने का आदेश दिलवाया। संस्था के अध्यक्ष रमेश मेंदोला थे। संस्था ने पेंशन पाने वालों की संख्या 56385 बताई। इसमें से 29500 फर्जी थे। पेंशन बांटी नहीं गई और 33 करोड़ रुपए का घोटाला हो गया। तत्कालीन संभागायुक्त अशोक दास की जांच रिपोर्ट में साबित हुआ कि अपात्र पेंशनभोगियों की संख्या 49 प्रतिशत थी। कोर्ट ने आरोपों को सही पाया और 28 अप्रेल 2006 को विशेष न्यायाधीश एसएस रघुवंशी ने आदेश दिया कि आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी प्राप्त करके कोर्ट में पेश करें। इतना ही नहीं, 8 फरवरी 2008 को सरकार ने जस्टिस एनके जैन की अध्यक्षता में एक सदस्यी पेंशन आयोग का गठन किया और अधिसूचना में लिखा कि राज्य स्तरीय सत्यापन में साफ हुआ है कि बड़ी संख्या में अपात्र व्यक्तियों को इस योजना का लाभ दिया गया।

राज्यपाल को 2006 में ही लिखा पत्र
विशेष न्यायालय के फैसले के बाद 10 मई 2006 को ही राज्यपाल को पत्र लिखा था। इसमें जिक्र था कि कैलाश विजयवर्गीय वर्तमान में लोक निर्माण मंत्री हैं और सुप्रीम कोर्ट ने बीआर यादव व राजेंद्र सिंह केस में अभियोजन की मंजूरी का अधिकार राज्यपाल को सौंपा गया है, राजभवन अनुमति प्रदान करें। अनुमति प्रदान नहीं की गई है।
- केके मिश्रा, पेंशन घोटाले में शिकायतकर्ता 

पत्रिका 24 सितम्बर 2012









गुरुवार, 19 जुलाई 2012

पेटी के जवाब में कोठी

 दोनों पार्टियों ने मांगी भूमाफिया नेताओं शिकायतें
- भाजपा की शिकायत पेटी के जवाब में कांग्रेस ने लगाई कोठी


सिहोर में भाजपा प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा और कांग्रेस सांसद सज्जन वर्मा की जमीन के मामले में उलझी दोनों पार्टियों ने आप जनता से एक-दूसरे की पार्टी के नेताओं की शिकायतें मांगी है। इस मसले पर होड़ इतनी है कि भाजपा ने शिकायत पेटी लगवाई तो दूसरे ने शिकायत कोठी ही रखवा दी।
झा ने दो दिन पहले वर्मा के घर के सामने नगर भाजपा को कहा था कि वर्मा और कांग्रेस सांसद प्रेमचंद गुड्डू जैसे नेताओं के जमीन के घोटालों को उजाकर करने के लिए शिकायत पेटी लगवाई जाए। बुधवार को भाजपा कार्यालय पर शिकायत पेटी लगवा दी गई। कांग्रेस ने 'नकल में अकलÓ दिखाते हुए गांधी भवन पर शिकायत कोठी रखवा दी। कांग्रेस का तर्क है कि भाजपा के नेता जमीन के धंधों में अधिक लिप्त हैं, इसलिए शिकायतें अधिक आएंगी। कोठी में पहले ही दिन १४ शिकायतें डाली गई हैं।

वरिष्ठों को भेजेंगे मामले
शिकायत पेटी लगाने का उद्देश्य कांग्रेस नेताओं के घोटाले उजागर करना है। जो भी शिकायतें आएंगी, उन्हें भोपाल भेज दिया जाएगा। वहां से जैसा निर्देश होगा, आगे वैसी कार्रवाई करेंगे। पेटी कब खोली जाएगी, यह अभी तय नहीं किया गया है।
- शंकर लालवानी, अध्यक्ष, नगर भाजपा


संबंधित विभाग को भेजेंगे
आठ दिन में शिकायत कोठी खोली जाएगी और इसमें आने वाली शिकायतों के दो सेट तैयार किए जाएंगे। एक को संबंधित विभाग को भेजा जाएगा और दूसरे को प्रभात झा को भेजेंगे। अगले चरण में शहर के पांच प्रमुख स्थानों पर पेटियां लगवाई जाएंगी।
- प्रमोद टंडन, अध्यक्ष, शहर कांग्रेस

वैसे यहां भी कर सकते हैं शिकायत
पार्टी कार्यालयों पर दी जाने वाली शिकायतों के सियासी इस्तेमाल की आशंका हो तो आम आदमी इन कार्यालयों पर भी शिकायत कर सकते हैं-
१. एसएसपी कार्यालय, पुलिस कंट्रोल रूम
२. कलेक्टर कार्यालय, कलेक्टोरेट
३. निगमायुक्त, नगर निगम
४. उपायुक्त व संयुक्तायुक्त, सहकारिता, श्रम शिविर
५. संभागायुक्त, मोती बंगला
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पत्रिका व्यू
शोशेबाजी न बन जाए कोशिश
इंदौर के अधिकांश नेताओं की पृष्ठभूमि जमीन के कारोबार से जुड़ी है और समय-समय पर इन नेताओं के राज भी खुलते रहे हैं। लंबे समय से पत्रिका ने 'जमीन का दर्दÓ अभियान चला रखा है और इसमें साबित हुआ है कि पीडि़त नेताओं और अफसरों से गुहार लगाकर थक चुका है। पीडि़तों के साथ पार्टियों का नजरिया अधिकांश मामलों में नकारात्मक ही रहा है। वजह जो भी हो, पार्टियों ने जमीन के मामलों पर शिकायत बुलाने का कदम उठाकर अच्छी पहल की है। जरूरत इस बात की है कि वे शिकायतों को गंभीरता से लें और पीडि़तों को न्याय दिलवाने की हर संभव कोशिश करें। शिकायत बुलाने की यह कोशिश शोशेबाजी बनकर नहीं रह जाना चाहिए।
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जमीनों से दोनों पार्टियों का गहरा ताल्लुकात

दोनों ही पार्टियों में ऐसे नेताओं की कमी नहीं, जो जमीन की खरीदी बिक्री या कब्जों के  घोटालों से जुड़े न रहे हों। गाहे-बगाहे नेताओं के नाम सामने आते ही रहते हैं। पत्रिका पड़ताल में कुछ नाम सामने आए हैं।

कांग्रेस

सज्जनसिंह वर्मा, सांसद
दागी आकाश गृह निर्माण संस्था और लक्ष्मणनगर गृह निर्माण संस्था में सांसद और उनके परिजनों के कई प्लॉट बुक हैं। आकाश संस्था की सच्चिदानंद कॉलोनी में प्लॉट लेकर वो पहले ही बेच चुके हैं।
प्रेमचंद गुड्डू, सांसद
बख्तावररामनगर गृह निर्माण संस्था की जमीन बतौर अध्यक्ष रहते गलत तरीके से एक क्लब को देने के मामले में ईओडब्ल्यू उनके खिलाफ पहले ही चालान पेश कर चुकी है। वहां से वो जमानत पर हैं। इसके अलावा उन पर खंडवा रोड पर भी जमीन का घपला करने का आरोप लगता रहा है।
कृपाशंकर शुक्ला, पूर्व आईडीए अध्यक्ष
- पूर्व आईडीए अध्यक्ष शुक्ला पर आईडीए की स्कीम-54 के नक्शे में हेरफेर कर अपने चहेतों को कम दर पर जमीन देने का प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
प्रमोद टंडन, शहर कांग्रेस अध्यक्ष
शहर कांग्रेस अध्यक्ष पर प्रतिक्षा ढाबे की जमीन को लेकर विवादों में घिरे हुए हैं।
प्रीतम माटा
शांति सेना गृह निर्माण संस्था में अध्यक्ष रहते कई प्लॉटों का गलत तरीके से वितरण करने का आरोप लगा है।
राजा और गोलू अग्निहोत्री
सिरपुर क्षेत्र के दोनों कांग्रेस नेताओं पर कई अवैध कॉलोनी बसाने का आरोप लगता रहा है।
केके यादव
पूर्व पार्षद ने बाणगंगा, टिगरिया बादशाह क्षेत्र में कई अवैध कॉलोनियां काटी है।
अरविंद बागड़ी
पालदा क्षेत्र में जो कॉलोनी उनके द्वारा बसाई जा रही है। उसमें नजूल की भूमि शामिल होने के आरोप लगे हैं।
कुलभूषण कुक्की
कांग्रेस के पूर्व कोषाध्यक्ष पर भी मुसाखेड़ी क्षेत्र में अवैध निर्माण संंबंधी कई शिकायतें दर्ज हैं।
लक्ष्मण ढोली
कांग्रेस नेता की राऊ में कई जगह पर गलत तरीके से खरीदी गई जमीनों के आरोप लगते रहे हैं।
धवन परिवार
कांग्रेस के बड़े नेताओं में शामिल धवन परिवार के लोगों का नाम जमीन घोटालों सहित कई गृह निर्माण संस्थाओं में अनियमितताओं में भी आ चुका है।
ललित जैन
रामबाग क्षेत्र की विवादास्पद नारायण बाग कॉलोनी बसाने में नाम आता रहा है। 

भाजपा
कैलाश विजयवर्गीय- रमेश मेंदोला
सुगनीदेवी कॉलेज परिसर, नवरतन बाग, कनेकेश्वरी संस्कार केंद्र, कनकेश्वरी इन्फोटेक, कनेकश्वरी धाम, एलआईजी बगीचा, साईंनाथ मंदिर, गेंदेश्वर महादेव मंदिर की जमीनों के विवाद में दोनों नेताओं के नाम आते रहे हैं। सुगनीदेवी में तो मेंदोला को मुख्य आरोपी घोषित किया जा चुका है। मेंदोला दागी विकास अपार्टमेंट गृह निर्माण संस्था के भी संचालक रहे हैं।
केके गोयल
भाजपा नेता दागी विकास अपार्टमेंट गृह निर्माण संस्था के संचालक मंडल में शामिल।

सोनकर परिवार
सांवेर में कई जमीनों पर कब्जे के आरोप लगे हैं।
महेंद्र हार्डिया
महू रोड पर आदिवासियों की जमीन खरीदने के आरोप लगते रहे हैं।
शंकर लालवानी
शंकर लालवानी और उनके भाई पर नाले की जमीन पर कब्जा कर अवैध कॉलोनी बसाने का आरोप लगा हुआ है।
आलोक डाबर
नगर निगम की जमीन पर अवैध तरीके से लीज के मामले में पहले से ही घिरे हुए हैं।
हरिशंकर पटेल
गौरीनगर क्षेत्र में अवैध कॉलोनियां बसाने में सहयोगी के रुप में नाम सामने आता रहा।
आईपीएस यादव
भाजपा के टिकिट पर पार्षद का चुनाव लड़ चुके आईपीएस यादव का नाम नगर निगम के अवैध कॉलोनाइजरों की सूची में शामिल है।
मांगीलाल रेडवाल
पार्षद पति ने भागीरथपुरा क्षेत्र के अवैध कॉलोनाइजर के तौर पर भी शामिल है। उन्हें भी नगर निगम ने अवैध कॉलोनाइजर घोषित कर रखा है।
सुनील दाभाड़े
पार्षद के पति पर आईडीए की जमीन पर कब्जा कर लोगों को बसाने का आरोप है। आईडीए द्वारा जब अपनी जमीन खाली कराने का प्रयास किया गया तो उस कार्रवाई रोकने के लिए भी उन्होंने प्रयास किए थे।
नागेंद्रसिह ठाकुर
भाजपा विधायक के प्रमुख सिपाहसालार ठाकुर के खिलाफ कई अवैध कॉलोनियों सहित जनता क्वार्टर में मोतिबाबा मंदिर के नाम पर बगीचे की जमीन पर कब्जा करने का आरोप लगा हुआ है।

पत्रिका 19 जुलाई 2012   साथ में नीतेश पाल

एक भाई ने दूसरे की गारंटी देकर फांसा

कोठारी बंधुओं की पेनजॉन फार्मा और पेनजॉन फायनेंस ने किया मिलकर लगाई चपत
शेयर घोटाला  


 फिक्स डिपॉजिट स्कीम में निवेशकों को करोड़ों की चपत लगाने वाले पेनजॉन फार्मा के धोखेबाजों ने एक शेयर घोटाले को अंजाम दिया है। कंपनी ने करीब ५०० शेयरधारकों को एक करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगाई है। कंपनी ने अपने भाई की कंपनी की गारंटी देकर शेयरधारकों को फांसा और बाद में दोनों ने रुपए देने से इनकार कर दिया।

इंदौर पुलिस की गिरफ्त में चल रहे पेनजॉन फार्मा के संचालक मनोज कोठारी ने शेयर घोटाले की बुनियाद वर्ष २००६ में रखी थी। उसने कंपनी के  दस रुपए के शेयर लोगों को बीस रुपए में बेचे। लोगों का भरोसा जीतकर धोखा देने के लिए मनोज ने अपने भाई विजय कोठारी की कंपनी पेनजॉन फायनेंस से गारंटी दिलावाई कि पांच वर्ष बाद उनकी कंपनी ४० रुपए में शेयर वापस ले लेगी। पांच साल बाद शेयर धारक रुपए लेने गए तो मनोज कोठारी लापता था और विजय कोठारी भी गारंटी की बात से मुकर गए।

देशभर में फैला जाल दोनों भाइयों ने राजस्थान और मध्यप्रदेश में निवेशकों से रुपए इकठ्ठे किए हैं। मालवा-निमाड़ के सबसे अधिक लोग इनके जाल में फंसे हैं। मनोज ने तो देशभर में धोखाधड़ी की है। इसके चलते इंदौर पुलिस ने देशभर के पुलिस अधीक्षकों को इसकी जानकारी भेजी है।

कुर्क हुए मकान में रहता विजय निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में मनोज कोठारी का ४२-ई, साकेत नगर मकान प्रशासन ने कुर्क किया है। इसी में विजय कोठारी रहते हैं। 

दोनों भाइयों ने मिलकर लूटा मैंने २८ फरवरी २००६ को १० रुपए के शेयर २० रुपए में पेनजॉन फार्मा से खरीदे। तब पेनजॉन फायनेंस ने गारंटी दी कि पांच साल बाद ४० रुपए में शेयर वापस ले लेंगे। मांग-मांग कर थक गए हैं, रुपए वापस ही नहीं आ रहे हैं। मेरे जैसे और भी कई लोग इसमें फंसे हुए हैं।
- हितेश खटोड़, बडऩगर, उज्जैन

धोखाधड़ी के लिए गारंटी एक भाई की गारंटी दूसरा दे और फिर रुपए न लौटाए। यह धोखाधड़ी है। हो सकता है कि दोनों ने मिलकर ही यह षड्यंत्र रचा होगा। वैसे भी कंपनी कानून के तहत ऐसा किया जाना गलत है।
- राजेश जोशी, कर सलाहकार

दोनों कंपनियों के संचालक मंडल
पेनजॉन फार्मा मनोज नगीन कोठारी, अंजु मनोज कोठारी, कीर्तिकुमार शाह (मनोज पुलिस गिरफ्त में, अंजु-कीर्ति फरार)
पेनजॉन फायनेंस विजय नगीन कोठारी, मनीष तांबी, मनीष संघवी, हीरेन कामदार, सुरेश सिंह जैन

धोके का धंधा
पत्रिका 19 जुलाई 2012