- जस्टिस झा आयोग के सामने खुली पोल
नर्मदा घाटी बने सरदार सरोवर बांध के संबंध में मप्र सरकार द्वारा विस्थापितों को दिए गए पुनर्वास पैकेज में हुए कथित भ्रष्टाचार और फर्जी रजिस्ट्री मामले में अफसरों और दलालों की मिली भगत उजागर हो रही है। न्यायमूर्ति एसएस झा आयोग के समक्ष आयोजित सुनवाई में दो पुनर्वास अफसरों द्वारा गरीब आदिवासियों को ठगे जाने का मामले सामने आए। फर्जीवाड़े के शिकार प्रभावितों ने बयानों और लिखित कथनों में इसकी पुष्टि की। नर्मदा बचाओ आंदोलन की एक जनहित याचिका पर सरदार सरोवर बांध प्रभावितों की फर्जी रजिस्ट्रियों और पुनर्वास स्थलों पर हुए भ्रष्टाचार की जाँच के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस एसएस झा की अध्यक्षता में एक सदस्यी आयोग गठित किया है। आयोग 2 अगस्त से इंदौर में है।
जमीन साढ़े तीन एकड़, भुगतान पांच का
ग्राम कोठड़ा (निसरपुर) के राधेश्याम-पन्नालाल ने आयोग को बताया जब वे जमीन के बारे में पुनर्वास अधिकारी जुवानसिंह बघेल से मिले तो उन्होंने निसरपुर के शकील और अनोखी राठौर दलालों के पास भेज दिया। दलालों ने उनसे 2 लाख रूपए वसूले और फर्जी रजिस्ट्री पकड़ा दी। रजिस्ट्री साढ़े तीन एकड़ की है, लेकिन बघेल ने भुगतान पूरे पांच एकड़ का कर दिया। मलवाड़ी (निसरपुर) के रतनसिंह-रूखडिय़ा ने फर्जीवाड़े में पुनर्वास अधिकारी बघेल के साथ पुनर्वास कार्यालय के बाबू चैतराम पाठक को भी शामिल बताया।
साढ़े पांच लाख के बजाए 40 हजार पकड़ाए
ग्राम खापरखेड़ा (कड़माल) के मुकेश राधेश्याम ने बताया शकील और अनोखी दलाल उन्हें पुनर्वास कार्यालय कुक्षी में मिले। वहीं पुनर्वास अधिकारी बघेल और आरके माहेश्वरी से बात कर बताया कि वे जमीन दिलवा देंगे। फर्जी रजिस्ट्री के बाद अफसर ने मुकेश के मुआवजे का चेक भी दलालों को ही दे दिया। दलालों ने मुकेश से 1.35 लाख वसूले। खापरखेड़ा के ही बुदन-सात्या ने बताया शकील और अनोखी दलाल ने उसका मुआवजा पुनर्वास कार्यालय से मिलकर निकाला तथा उन्हें मात्र 40 हजार दिए जबकि प्रति प्रभावित साढ़े पाँच लाख का भुगतान किया जाता है।
षडयंत्र में पटवारी तक शामिल
ग्राम चिखल्दा के शफी मोहम्मद पीरबक्ष ने बताया वे दलाल शकील और अनोखी तथा पीपरी (बागली) के पटवारी मेहताबसिंह भार्गव के षडयंत्र के शिकार हुए हैं। दलालों ने उनके दो पुत्रों की फर्जी रजिस्ट्री करवाकर उनसे ढाई लाख लूटे। ग्राम मलवाड़ी (निसरपुर) के राजकुमार गोमा और रतनसिंह रूखडिय़ा तथा निसरपुर के जगदीश औंकार ने दलालों के रूप में नारायण-रतनसिंह (भीलसुर) और खेतिया अमरा (मलवाड़ी) का नाम लिया। धरमराय के दीपक पन्नालाल ने लक्ष्मण दलाल (नवादपुरा) और निसरपुर के रूखडिय़ा-मुरार ने शकील एवं अनोखी का नाम बताया।
News in Patrika on 13th August 2010