शनिवार, 2 अक्तूबर 2010

इंदौर का अंशुल भारतीय शर्लक होम्स

- 42 जटिल  अंतर्राष्ट्रीय क्राइम फाइल्स निपटाकर दुनियाभर कर दिया अचंभित
- अमेरिकन क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल ने किया नामित 



यह स्कॉटिश लेखक आर्थर डॉयल के काल्पनिक जासूसी पात्र शर्लक होम्स की कहानी नहीं है, जो अपने तौर तरीकों के जरिए अपराधियों को गिरफ्त में ले लिया करता था। यह इंदौर के 23 वर्षीय एक नौजवान की हकीकत है। वह जेनेटिक साइंस का छात्र है और भारत के पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उसे ओजोन मैन ऑफ द वर्ल्ड  घोषित किया है। उसने भारत में ही रहकर कुछ ही दिनों में 42 अनसुलझे अंतरराष्टरीय अपराधों को सुलझा दिया है। ये अपराध बरसों पुराने थे और कई ख्यात अपराध विशेषज्ञ, पुलिस अधिकारी और फोरेंसिक मेडिसिन के वैज्ञानिक भी इनके आगे हार गए थे। उसकी अविश्वसनीय बुद्धि से अचंभित होकर दुनियाभर से भारत की राष्टï्रपति को बधाई पत्र मिले हैं। इतना ही नहीं उसे अमेरिका ने तो अपनी फोरेंसिक रिसर्च काउंसिल के क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल में नामित तक कर लिया है। 

बात इंदौर के अंशुल जैन की है। कहने को तो वे डब्ल्यूएचओ के डीओई में बतौर जूनियर साइंटिस्ट कार्य कर रहे हैं, लेकिन जेनेटिक साइंस के क्षेत्र में उनकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया के जेनेटिक साइंटिस्ट मान चुके हैं। हाल ही में भारत की राष्टï्रपति प्रतिभादेवी सिंह पाटिल ने अंशुल की उपलब्धियों से अभिभूत होकर एक बधाई पत्र भेजा है। मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम ने भी एक व्यक्तिगत पत्र लिखकर अंशुल की इस उपलब्धि को  उत्कृष्ट  बताया है। सुरक्षा के मद्देनजर स्थान की गोपनीयता की शर्त पर अंशुल से 'पत्रिका  से विशेष चर्चा की। उन्होंने बताया कुछ नया करने की मेरी सोच ने ही इस मुकाम तक पहुंचाया है।

यूं सुलझाई क्राइम फाइल्स
अंशुल जेनेटिक साइंटिस्ट हैं और उनका नाता मानव रक्त में मौजूद गुणसूत्रों व डीएनए से है। उन्होंने रक्त और जीन्स के नमूनों के आधार पर ही अपराधियों को बेनकाब किया है। वे बताते हैं यह बहुत ही जटिल प्रक्रिया है और इसमें कई बार कई-कई दिन लग जाते हैं।

हर रात दो घंटे की मशक्कत से मिला मुकाम
अंशुल इंदौर के गुजराती साइंस स्कूल के छात्र रहे हैं। 12 वीं के बाद वर्ष 2006 में उन्होंने मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 15 परीक्षाएं दी और 12 की मेरिट में स्थान बनाया। वे बताते हैं मैं डॉक्टर बनकर पहले ही खोजी जा चुकी दवाइयों के आधार पर इलाज करके रोजी-रोटी नहीं कमाना चाहता था, इसलिए इस चयन से संतुष्ट नहीं हुआ और इंटरनेट पर शोध की दुनिया को खंगालने लगा। इंटरनेट सर्फिंग के दौरान ही मेरा जैनेटिक साइंस की ओर झुकाव बढ़ा। हर रात दो घंटे में इस विषय पर इंटरनेट पर जाता था और एक दिन ऑस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी की ऑन लाइन सेवा में चला गया। वहां जैनेटिक्स से जुड़ी पहेली थी। उसे हल किया तो मुझे ऑन लाइन परीक्षा के लिए आमंत्रित किया गया। पौन घंटे बाद परीक्षा हुई और मैं चयनित हो गया। बस तभी से जैनेटिक्स मेरी दुनिया बन गया है।

परिवार की अहम भूमिका
अंशुल बताते हैं मेरे ताऊजी डॉ. सुरेंद्र जैन ही मेरे प्रेरणा स्त्रोत रहे हैं। बाद में पूर्व राष्टï्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कमाल ने मुझे प्रेरित किया। मेरी मां कल्पना जैन, पिता डी. जैन, बड़े भाई डॉ. अंकुर जैन ने भी हरकदम पर मेरी हौंसला अफजाई की है, यही वजह है कि मैं आगे बढ़ रहा हूं।
 
'अंशुल, भारत और दुनिया के दूसरे देशों की ओर से मैं आपका शुक्रिया अदा करना चाहती हूं। मेरी इच्छा है कि मैं आपसे मुलाकात करूं।
- प्रतिभा देवीसिंह पाटिल,
राष्ट्रपति (अंशुल को लिखे पत्र से)

'अंशुल, आपकी उपलब्धि न केवल बधाई के योग्य है, बल्कि यह अविश्वसनीय है। इससे भारत के इतिहास में आपका नाम दर्ज हो गया है।
- एपीजे अब्दुल कलाम, पूर्व राष्ट्रपति (अंशुल को लिखे पत्र से)

'भारत में शोध को बढ़ावा नहीं दिया जाता, इसीलिए यहां वैज्ञानिकों की पूछ परख नहीं है। सरकार को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए। - अंशुल जैन, साइंटिस्ट, जैनेटिक साइंस




 पूरी दुनिया को बदल डालेगा जेनेटिक साइंस
- जेनेटिक साइंटिस्ट अंशुल जैन से विशेष भेंट

चॉकलेटी हीरो जैसे नैन-नक्श वाले 23 वर्षीय अंशुल को देखकर कोई नहीं कह सकता कि उनकी अद्भुत बुद्धिमत्ता के कायल होकर चार वर्ष पहले ही भारत के राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें 'ओजोन मैन ऑफ द वर्ल्ड घोषित कर दिया था। तब से आज तक वे जैनेटिक साइंस के क्षेत्र में शोधरत हैं। 'पत्रिका  से विशेष भेंट में उन्होंने बताया जेनेटिक साइंस ऐसा क्षेत्र है, जो कुछ ही वर्षों में पूरी दुनिया को बदल देगा। अभी तो इस विधा में कुछ हुआ ही नहीं है।

प्र- आपको अमेरिका के फोरेंसिक रिसर्च काउंसिल के क्राइम इन्वेस्टिगेशन सेल में नामित क्यों किया गया है?
उ-  जैनेटिक साइंस के क्षेत्र में शोधरत होने के कारण मेरे पास 42 पुराने अपराध सुलझाने के लिए रक्त के नमूने आए थे। मैंने वैज्ञानिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल करके इन्हें निपटाया। इसी को देखते हुए अमेरिकन फोरेंसिक रिसर्च काउंसिल ने यह कदम उठाया।

प्र- आपकी सफलता का क्या राज है?
उ- बचपन से ही कुछ नया करने का सोच था। 12 वीं के बाद मैंने चिकित्सा के क्षेत्र में जाने के लिए 15 प्रवेश परीक्षाएं दी थीं और इनमें से 12 में मुझे मेरिट में स्थान मिला था, लेकिन मैं नहीं चाहता था कि डॉक्टर बनकर पूर्व में की गई खोजों के आधार पर लोगों का उपचार करूं। बस मुझे जुनून सवार था कि शोध करना है और मैं आगे बढ़ता चला गया।

प्र- आपके प्रेरणास्त्रोत कौन हैं? 
उ- मेरे ताऊजी डॉ. सुरेंद्र जैन। उन्हें देखकर ही मुझे राह मिली। बाद में मिसाइल मैन डॉ. एपीजे अब्दुल कमाल ने मुझे राह दिखाई। मां कल्पना जैन, पिता डी. जैन, बड़े भाई डॉ. अंकुर जैन ने भी हरकदम पर मेरी हौंसला अफजाई की।

प्र- जैनेटिक साइंस की ओर कैसे मुड़े?
उ- मैंने इंदौर के गुजराती साइंस कॉलेज से 12 वीं तक की पढ़ाई की। इसके बाद इंटरनेट सर्फिंग के दौरान ही जैनेटिक साइंस की ओर झुकाव बढ़ा। हर रात दो घंटे में इस विषय पर नेट पर जाता था और एक दिन ऑस्ट्रेलिया की एक यूनिवर्सिटी की ऑन लाइन सेवा में चला गया। वहां जैनेटिक्स से जुड़ी पहेली थी। उसे हल किया तो मुझे ऑन लाइन परीक्षा के लिए आमंत्रित किया गया। पौन घंटे बाद परीक्षा हुई और मैं चयनित हो गया। बस तभी से जैनेटिक्स मेरी दुनिया बन गया है।


प्र- जैनेटिक साइंस के क्षेत्र में अभी आप क्या काम रहे हैं?
उ- यह एक गोपनीय मसला है, परंतु इतना जरूर है कि इस क्षेत्र में अभी तो कुछ हुआ ही नहीं है। मनुष्य के बारे में जो भी आप सोच सकते हैं, उसे जैनेटिक्स से हासिल किया जा सकता है। कुछ ही वर्षों में इससे पूरी दुनिया में तब्दीली हो जाएगी।

प्र- इस दिशा में भारत सरकार के प्रयासों के बारे में बताएं?
उ- सबसे बड़ा प्रयास यह है कि मुझे देश में ही रहकर काम करने का मौका मिल गया। वैसे, भारत में शोध को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है, यही वजह है कि छात्र इससे दूर होते जा रहे हैं। यहां लोग उन बातों को शोध बता रहे हैं, जो पहले ही खोजा जा चुका है।

प्र- भारत की शिक्षा व्यवस्था के बारें में आपकी क्या राय है?
उ- जब तक इसे पूरी तरह बदला नहीं जाएगा, तब तक हम दुनिया के साथ खड़े नहीं हो सकेंगे। वर्तमान में स्कूल-कॉलेज व्यापार का केंद्र बने हुए हैं। जहां से ज्ञान गंगा बहना चाहिए, वहां से गंदे नाले बह रहे हैं।

प्र- भारतीय राजनैतिक व्यवस्था पर आपकी क्या राय है?
उ- कानून बनाने में नेताओं को मास्टर्स डिग्री हासिल है और कानून तोडऩे में पीएचडी। फौरी तौर पर कहूं तो नेताओं को देश की चिंता ही नहीं है। वे न तो यह समझने को तैयार है कि दुनिया बदल रही है और न ही यह कि देश की प्रतिभाएं बोथरी हो रही हैं। इससे अधिक तो क्या कहूं?

प्र- आपको अत्यधिक सुरक्षा प्राप्त है, क्या इससे असहज महसूस नहीं करते हैं?
उ- जी नहीं, ऐसा कुछ नहीं है। मैं सुरक्षा को लेकर चिंतित नहीं हूं। मैं अपने और अपने पारिवारिक लोगों के बीच में हमेशा खुश रहता हूं।

प्र- अभी दिन में आप कितने घंटे काम करते हैं?
उ- उसकी कोई सीमा नहीं है। कई बार तो लगातार दो-दो रात काम होता है और कई बार कोई काम नहीं। दरअसल, यह क्षेत्र जुनून से भरा हुआ है और मुझे तो इसी में डूबे रहने में मजा भी आता है।

प्र- आपका सपना?
उ- दुनिया के लोगों को बीमारियों से बचाना। कई नई-नई बीमारियों आ रही हैं और इनसे लडऩे के तरीके भी नए ढूंढना होंगे। हम लोग इन्हीं पर काम कर रहे हैं। मानवता को महफूज रखना ही जीवन का उद्देश्य है। एक खास बात मैं जैन हूं और जैन धर्म के सिद्धांतों की कसौटी पर ही दुनिया की वैज्ञानिक प्रगति को देख रहा हूं। 
 
(नोट: अंशुल को  अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा हासिल है और इसी के मद्देनजर उनके मौजूदा पते और शहर की जानकारी को छुपाया जा रहा है। जो क्राइम फाइल्स उन्होंने सुलझाई हैं, उनके बारे में भी जिक्र नहीं किया गया है।) 

पत्रिका : २-३ अक्टूबर २०१० 

हाईकोर्ट में महिलाकर्मियों को मिली छुट्टी

अयोध्या फैसले की उत्सुकता इंदौर हाईकोर्ट में भी देखी गई। दोपहर तीन बजे से ही हाईकोर्ट बार एसोसिएशन सभाकक्ष में एडवोकेट और कर्मचारी जुट गए थे। सभी ने टीवी चैनलों के जरिए फैसले की जानकारी जुटाई। डिप्टी रजिस्ट्रार एमएच कर्णिक, बार एसोसिएशन अध्यक्ष विनय झेलावत, सरकारी एडवोकेट दीपक रावल समेत सभी की निगाह इलाहबाद हाईकोर्ट ने क्या फैसला दिया है? सुरक्षा के मद्देनजर हाईकोर्ट में दोपहर बाद ही करीब 20 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए थे। एक मौखिक आदेश के तहत सभी महिलाकर्मियों को दोपहर तीन बजे अवकाश दे दिया गया था।

दो को श्रद्धांजलि
हाईकोर्ट के एडवोकेट आरके भड़ंग और भृत्य मुन्नालाल हाड़े की मृत्यु के कारण हाईकोर्ट में दो श्रद्धांजलि सभाएं भी हुई।  दो दिन पहले एडवोकेट आरके भड़ंग के निधन के कारण दोपहर बाद श्रद्धांजलि सभा हुई। भृत्य मुन्नालाय हाड़े की लंबी बीमारी के बाद गुरुवार को हुई मौत के चलते शाम चार बजे मप्र हाईकोर्ट कर्मचारी संघ ने एक श्रद्धांजलि सभा हुई।

पत्रिका : ०१ अक्टूबर २०१०

शिवलिंग के हिस्से को नर्मदा में क्यों बहाया?

- औंकारेश्वर ज्योर्तिलिंग क्षरण को लेकर मुख्य सचिव से मांगा जवाब

औंकारेश्वर के ज्योर्तिलिंग के टूटे भाग को कलेक्टर ने किसकी अनुमति से नर्मदा में प्रभावित किया? क्या उन्होंने इसके लिए पहले पंचनामा बनाया गया था? वह बेशकीमती पत्थर था, क्या वास्तव में उसे ही बहाया गया है?

ये तीखे सवाल मप्र के मुख्य सचिव अवनि वैश्य से किए गए हैं। सवाल पूछने वाले हैं पर्यावरणविद् और होलकर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य डॉ. राम श्रीवास्तव। उन्होंने सभी प्रश्नों की जानकारी सूचना का अधिकार में चाही है। डॉ. श्रीवास्तव ने 'पत्रिकाÓ को बताया मीडिया के जरिए जानकारी मिली कि पिछले दिनों ज्योर्तिलिंग का जो टूकड़ा टूट गया था, वह स्थानीय प्रशासन ने बहा दिया। यह लाखों लोगों की आस्था से जुड़ा मसला है और किसी प्रशासनिक अधिकारी को इस तरह का फैसला करने का अधिकार नहीं है।

ये सवाल भी पूछे
- ज्योर्तिलिंग के पवित्र अंश की रेडियोधर्मिता पद्धति से आयु का वैज्ञानिक आंकलन क्यों नहीं करवाया गया?
- उज्जैन महाकाल का भी लगातार शरण हो रहा है। राज्य सरकार ने इसे रोकने के लिए अब तक क्या प्रयास किए?
- काबा में पवित्र पत्थर को चांदी में सज्जित किया गया है। ऐसा ही कोई उपाय औंकारेश्वर में क्यों नहीं किया गया?


पत्रिका : ३० सितम्बर २०१०