बुधवार, 18 अगस्त 2010

सीबीआई को भी बनाएं पार्टी


मालेगांव ब्लॉस्ट 
- दिलीप पाटीदार बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाईकोर्ट का निर्देश


मालेगांव ब्लॉस्ट मामले में करीब पौने दो वर्ष से रहस्यमय तरीके से लापता दिलीप पाटीदार को लेकर चल रही बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाईकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को भी पार्टी बनाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने सहायक सोलिसिटर जनरल से कहा केस की फाइल सीबीआई को भेजें और 9 सितंबर तक बताएं कि क्या इस केस की जांच सीबीआई करेगा?  

11 नवंबर 2008 को मुंबई एटीएस का दल खजराना क्षेत्र की शांतिविहार कॉलोनी से दिलीप पाटीदार को मालेगांव ब्लास्ट मामले में ले गया था। एटीएस कहती है कि उसे 18 नवंबर को छोड़ दिया गया, लेकिन इसके बाद से वह आज तक लापता है। दिलीप के भाई रामस्वरूप ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई, जिस पर लगातार सुनवाई चल रही है। पाटीदार की एडवोकेट रितु भार्गव और भुवन देशमुख और एटीएस एडवोकेट वी. वगाड़े मंगलवार को जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष उपस्थित हुए।

एडवोकेट रितु भार्गव ने बताया हमने कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की थी, क्योंकि राज्य सरकार और मुंबई एटीएस इस मामले में अब तक कोई परिणाम नहीं दे सकी है। इसी पर कोर्ट ने सहायक सोलिसिटर जनरल विवेक शरण को बुलाकर इस संबंध में निर्देश दिए। शरण ने 'पत्रिकाÓ को बताया सीबीआई को केस की फाइल भेजी जाएगी। अगली तारीख तक इस पर जवाब पेश कर दिया जाएगा।


पत्रिका : १८ अगस्त २०१०

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