गुरुवार, 19 जुलाई 2012

एक भाई ने दूसरे की गारंटी देकर फांसा

कोठारी बंधुओं की पेनजॉन फार्मा और पेनजॉन फायनेंस ने किया मिलकर लगाई चपत
शेयर घोटाला  


 फिक्स डिपॉजिट स्कीम में निवेशकों को करोड़ों की चपत लगाने वाले पेनजॉन फार्मा के धोखेबाजों ने एक शेयर घोटाले को अंजाम दिया है। कंपनी ने करीब ५०० शेयरधारकों को एक करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगाई है। कंपनी ने अपने भाई की कंपनी की गारंटी देकर शेयरधारकों को फांसा और बाद में दोनों ने रुपए देने से इनकार कर दिया।

इंदौर पुलिस की गिरफ्त में चल रहे पेनजॉन फार्मा के संचालक मनोज कोठारी ने शेयर घोटाले की बुनियाद वर्ष २००६ में रखी थी। उसने कंपनी के  दस रुपए के शेयर लोगों को बीस रुपए में बेचे। लोगों का भरोसा जीतकर धोखा देने के लिए मनोज ने अपने भाई विजय कोठारी की कंपनी पेनजॉन फायनेंस से गारंटी दिलावाई कि पांच वर्ष बाद उनकी कंपनी ४० रुपए में शेयर वापस ले लेगी। पांच साल बाद शेयर धारक रुपए लेने गए तो मनोज कोठारी लापता था और विजय कोठारी भी गारंटी की बात से मुकर गए।

देशभर में फैला जाल दोनों भाइयों ने राजस्थान और मध्यप्रदेश में निवेशकों से रुपए इकठ्ठे किए हैं। मालवा-निमाड़ के सबसे अधिक लोग इनके जाल में फंसे हैं। मनोज ने तो देशभर में धोखाधड़ी की है। इसके चलते इंदौर पुलिस ने देशभर के पुलिस अधीक्षकों को इसकी जानकारी भेजी है।

कुर्क हुए मकान में रहता विजय निवेशकों के साथ धोखाधड़ी के मामले में मनोज कोठारी का ४२-ई, साकेत नगर मकान प्रशासन ने कुर्क किया है। इसी में विजय कोठारी रहते हैं। 

दोनों भाइयों ने मिलकर लूटा मैंने २८ फरवरी २००६ को १० रुपए के शेयर २० रुपए में पेनजॉन फार्मा से खरीदे। तब पेनजॉन फायनेंस ने गारंटी दी कि पांच साल बाद ४० रुपए में शेयर वापस ले लेंगे। मांग-मांग कर थक गए हैं, रुपए वापस ही नहीं आ रहे हैं। मेरे जैसे और भी कई लोग इसमें फंसे हुए हैं।
- हितेश खटोड़, बडऩगर, उज्जैन

धोखाधड़ी के लिए गारंटी एक भाई की गारंटी दूसरा दे और फिर रुपए न लौटाए। यह धोखाधड़ी है। हो सकता है कि दोनों ने मिलकर ही यह षड्यंत्र रचा होगा। वैसे भी कंपनी कानून के तहत ऐसा किया जाना गलत है।
- राजेश जोशी, कर सलाहकार

दोनों कंपनियों के संचालक मंडल
पेनजॉन फार्मा मनोज नगीन कोठारी, अंजु मनोज कोठारी, कीर्तिकुमार शाह (मनोज पुलिस गिरफ्त में, अंजु-कीर्ति फरार)
पेनजॉन फायनेंस विजय नगीन कोठारी, मनीष तांबी, मनीष संघवी, हीरेन कामदार, सुरेश सिंह जैन

धोके का धंधा
पत्रिका 19 जुलाई 2012

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