रविवार, 5 सितंबर 2010

15 वर्ष पहले मृत बुजुर्ग की जमीन नौजवान बनके बेच दी

सरदार सरोवर बांध फर्जी रजिस्ट्री मामला


पंद्रह वर्ष पहले जिस 65 वर्षीय बुजुर्ग की मौत हो चुकी थी, उसकी जमीन एक 25 वर्षीय युवक ने बेच दी। युवक ने खुद को वह बुजुर्ग बताया जिसकी जमीन थी।
दस्तावेजों पर यह बात शुक्रवार को जस्टिस एसएस झा के सामने साबित हुई। जस्टिस झा सरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को दी गई जमीनों में हुई फर्जी रजिस्ट्रियों की जांच करने वाले आयोग के अध्यक्ष हैं। देवास जिले के पोरला गांव के वेरसिंह भाई की मौत करीब 15 वर्ष पहले हो गया था। वर्ष 2006 में उनके नाम से 25 वर्ष के व्यक्ति का फोटो लगाया गया और जमीन बेच दी गई। इसी जमीन पर वेरसिंह का पूरा निर्भर है। ऐसी ही हकीकत प्रेमगढ़ निवासी भंगड़ा पिता सोमला के साथ भी हुई। 
 एमजी रोड स्थित एलआईसी भवन के बाजू में स्थित आयोग के दफ्तर में जस्टिस झा ने देवास जिले के रतनपुर, निमनपुर, पोटला, पुजापुरा जैसे गांव के आदिवासियों, किसानों, बलाई समाज के लोगों की बात सुनी। नर्मदा बचाओ आंदोलन का दावा है कि नर्मदा घाटी के करीब 2000 विस्थापितों की घाटी में फैले दलाल, सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के गिरोह के जरिए जमीन खरीदी-बेच दी गई। इसमें 300 करोड़ रुपए से अधिक का भ्रष्टाचार हुआ। 

पत्रिका: ०४ सितम्बर २०१०

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