- रेल मंत्री ममता बेनर्जी ने मनमोहनसिंह को बताया दुखड़ा
- समय पर पूरी नहीं होगी इंदौर-दाहोद एवं छोटा उदयपुर-धार रेलवे लाइन
दो महत्वाकांक्षी रेल परियोजनाएं इंदौर-दाहोद और छोटा उदयपुर-धार की लागत में 482 करोड़ रुपए का बढ़ोतरी हो गई है। प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को उम्मीद थी 1518 करोड़ रुपए के खर्च के साथ आदिवासी इलाकों को विकास की मुख्य धारा में जोडऩे वाली ये दोनों रेल लाइनें वर्ष 2012 तक पूरी हो जाएगी। परंतु हकीकत में ऐसा होना मुमकिन नहीं है। रेल मंत्री ममता बेनर्जी ने प्रधानमंत्री को कह दिया है कि योजना आयोग के असहयोग के कारण हर वर्ष पर्याप्त राशि जारी करना मुमकिन नहीं है और ऐसे में इन्हें तय समय सीमा में पूरा भी नहीं किया जा सकेगा। अब तो इसकी लागत भी 2000 करोड़ हो गई है।
प्रधानमंत्री ने 8 फरवरी, 2008 को झाबुआ में दोनों परियोजनाओं का शिलान्यास किया था। शुरू से ही इन योजनाओं को पर्याप्त बजट नहीं दिया गया और काम को गति मंद ही रही। हाल ही में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री कांतिलाल भूरिया ने लेतलाली के संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखा। इस पर प्रधानमंत्री ने पूछताछ की, तो ममता बेनर्जी ने बताया योजना आयोग से परियोजनाओं के लिए एक बार में ही बड़ी राशि जारी करवाए तभी सामाजिक उत्थान की दृष्टि से अहम इन प्रोजेक्टों को गति दी जा सके।
रेल लाइनों का काम संतोषप्रद नहीं है। ऐसा क्यों हो रहा है, इस पर ध्यान दें, ताकि परियोजनाओं का कार्य तेजी से चल सके।
- डॉ. मनमोहनसिंह, प्रधानमंत्री (रेल मंत्री ममता बेनर्जी को लिखे पत्र से)
दोनों प्रोजेक्ट के लिए हर वर्ष 400 करोड़ की जरूरत है, लेकिन योजना आयोग ने देशभर के प्रोजेक्टों के लिए ढाई-तीन हजार करोड़ की ही अनुमति दी है। ऐसे में समय सीमा में कार्य पूरा होना संभव नहीं है।
- ममता बेनर्जी, रेल मंत्री (प्रधानमंत्री को लिखे पत्र से)
दोनों परियोजनाओं की कार्य प्रगति जांचने के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में एक विशेष प्रकोष्ठ गठित करवा दिया है। वहां से निगरानी जारी है। इस बार के बजट में दोनों योजनाओं को जो राशि मिली, वह नाकाफी है।
- कांतिलाल भूरिया, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्र
और भी हैं रेड सिग्नल
- दोनों योजनाओं के लिए अब तक 25 फीसदी जमीन भी नहीं मिली।
- लाइनें आदिवासी क्षेत्र से गुजरेंगी। नियमानुसार आदिवासी ही आदिवासी व्यक्ति की जमीन खरीद सकता है। सामान्य व्यक्ति जमीन खरीदता है तो उसे सीईओ जनपद पंचायत से ठहराव प्रस्ताव पास कराना होगा। इसके लिए रेलवे को मोटी रकम चुकाना होगी।
- छोटा उदयपुर-धार लाइन पहाडिय़ों और खाइयों के बीच से गुजरेगी। बड़े पुल-पुलियाएं बनाना होंगे इसलिए समय और धन बहुत अधिक लगेगा।
- टुकड़ों-टुकड़ों में करीब 10 किलोमीटर लंबी सुरंगें बनना हैं, इसमें भी लंबा वक्त लग सकता है।
- आलीराजपुर से धार तक जमीन अधिग्रहण नहीं हो रहा है।
बजट की बेहद धीमी चाल
इंदौर-दाहोद परियोजना
लंबाई- 205 किमी
प्रमुख स्टेशन- इंदौर, राऊ, पीथमपुर, सागोर, धार, सरदारपुर, अमझेरा, झाबुआ, कतवारा, दाहोद।
पिछले वर्ष तक आवंटन- 40 करोड़
इस वर्ष आवंटन- 75 करोड़
कुल जमीन चाहिए- 950 हेक्टेयर
छोटा उदयपुर-धार परियोजना
लंबाई- 157 किमी
प्रमुख स्टेशन- छोटा उदयपुर, आलीराजपुर, जोबट और धार।
पिछले वर्ष तक आवंटन- 20 करोड़
इस वर्ष आवंटन - 50 करोड़
जमीन चाहिए- करीब 1100 हेक्टेयर
रेलवे ने नहीं रखा सीसीईए का ध्यान : योजना आयोग
योजना आयोग के ट्रांसपोर्ट डिवीजन के एक अधिकारी ने 'पत्रिकाÓ को बताया वित्त मामलों की केबिनेट कमेटी (सीसीईए) की अनुशंसा के मुताबिक ही आयोग बजट की रूपरेखा तैयार करता है। रेलवे ने इन अनुशंसा का ध्यान रखे बगैर पिछड़े इलाकों के उत्थान के उद्देश्य से देशभर में जरूरत से अधिक प्रोजेक्ट शुरू कर दिए। रेलवे को चाहिए कि वह सीसीईए से इस बारे में बात करे।
पत्रिका : ०५ सितम्बर २०१०
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