ज्योतिरादित्य सिंधिया |
कैलाश विजयवर्गीय |
सिंधिया ने मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के कप्तान (अध्यक्ष) बनकर लंबी पारी के इरादे से मैदान में जम गए हैं। इसी चुनावी मैच को लेकर रविवार सुबह से ही इंदौर समेत पूरे राज्य और देशभर के नेता और क्रिकेटर निगाहें जमाए थे। इंदौर के उषाराजे स्टेडियम में प्रात: 10.30 बजे मैनेजिंग कमेटी की बैठक हुई और 12.30 बजे साधारण सभा की बैठक। सभा में सिंधिया ने समझौते के लिए डाली गई कैलाश समर्थकों की गेंद को वाइड करार देते हुए कहा चुनाव होकर रहेंगे। मैं वॉकओवर देने के मूड में नहीं हूं। ïदोपहर 2.45 बजे चुनावी मैच शुरू हुआ, जो रात 12.30 बजे तक चला। पूरे समय सिंधिया हावी रहे और एक बार तो ऐसी नौबत भी आ गई कि कैलाश को 'बॉल टेम्परिंगÓ जैसी बचकानी हरकत के लिए माफी तक मांगना पड़ी। मैच शुरू होने के पहले सिंधिया ने अपनी टीम के सबसे मजबूत खिलाड़ी (सचिव) संजय जगदाले को बाहर कर लिया क्योंकि उनके आसानी से आउट होने की प्रबल संभावना बन चुकी थी। मैच एंपायर (चुनाव अधिकारी) दिलीप चुडकर को घोषित किया गया था। देर रात घोषित किया गया कि सिंधिया मैन ऑफ द डे, मैच एंड एमपीसीए हैं। 217 में से उन्हें 142 सदस्यों ने समर्थन दिया है और कैलाश टीम 'क्लीन बोल्डÓ हो चुकी है।
जीत-हार के राजनैतिक मायने
सिंधिया की जीत और कैलाश की हार के गहरे राजनैतिक मायने भी हैं। कैलाश 100 करोड़ रुपए के सुगनीदेवी जमीन घोटाले में जांच से गुजर रहे हैं और चाहते थे कि इस चुनाव के जरिए ताकत दिखाकर 'बचÓ जाएं। हार से उनके धुर विरोधियों को ताकत मिलेगी। कैलाश की यह पहली हार है। उधर, सिंधिया की जीत से इंदौर में कांग्रेस के 'ध्रुवीकरणÓ का दौर शुरू होने की संभावना है।
कार्यकारिणी, संस्थाओं पर सिंधिया का कब्जा
पद/संस्था जीते हारे
अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया (१४३) कैलाश विजयवर्गीय (७२)
चेयरमैन एमके भार्गव (१४१) अशोक जगदाले (७०)
उपाध्यक्ष एक विजय नायडू (१२९) रमेश भाटिया (५९)
उपाध्यक्ष दो भगवानदास सुतार (१४७) विजय बडज़ात्या (५३)
उपाध्यक्ष तीन श्रवण गुप्ता (११९) अनुराग सुरेका (६१)
सचिव नरेंद्र मेनन (१३३) अमिताभ विजयवर्गीय (६१)
कोषाध्यक्ष वासु गंगवानी (१४९) चंद्रशेखर भाटी (३१)
सहसचिव एक अल्पेश शाह (१२४) अमरदीप पठानिया (५३)
सहसचिव दो नरेंद्र दुआ (१३७) संजय लुणावत (४०)
मैनेजिंग कमेटी एक गुलरेज अली (151) गोपालदास मोहता (66)
मैनेजिंग कमेटी दो भोलू मेहता (158) डॉ. अपूर्व वोरा (67)
मैनेजिंग कमेटी तीन मिलिंद कनमड़ीकर (144) मानवेंद्रसिंह बैस (55)
मैनेजिंग कमेटी चार अनिल जोशी (129) ————-
क्लब संस्था एक स्टार क्लब (121) वैष्णव हायर सेकंडरी (53)
क्लब संस्था दो सीसीआई (147) डीएवीवी (50)
क्लब संस्था तीन वायएमसीए (140) एसजीएसआईटीएस (35)
क्लब संस्था चार सिंधिया स्कूल (151) जहांगीराबाद क्लब जब. (28)
(कोष्टक में वोट संख्या। कुल वोट 215। तृतीय मोर्चे के कुछ को नाममात्र वोट)
साधारण सभा में कैलाश को मांगना पड़ी माफी
- सिंधिया के भाषण में रुकावट डालने का भुगता खामियाजा
मध्यप्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) की वार्षिक साधारण सभा में उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को खुद के बरताव के कारण शर्मिंदा होना पड़ा। वे एमपीसीए अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाषण में व्यवधान पैदा कर रहे थे। बाद में कैलाश को गलती का अहसास हो गया और उन्होंने माफी भी मांगी।
दरअसल, साधारण सभा में रीवा डिवीजन की क्रिकेट एसोसिएशन के सचिव कमल श्रीवास्तव अंतरराष्टï्रीय मैच में टैक्स से जुड़े एक मुद्दे पर कुछ प्रश्न पूछ रहे थे। सिंधिया ने उन्हें यह कहते हुए समझाइश दी कि अभी बात पूरी हो जाने दीजिए। इस पर कैलाश अचानक खड़े हो गए। उन्होंने कहा यह अलोकतांत्रिक है, सभी को बोलने का मौका दिया जाना चाहिए। शुरू से अंग्रेजी में भाषण दे रहे सिंधिया ने इस पर हिंदी में कहा कैलाशजी, यह इंदौर डिवीजन क्रिकेट एसोसिएशन (आईडीसीए) नहीं है, एमपीसीए है। यहां कुछ नियम कायदे हैं, उन्हीं के तहत मैं बात कर रहा हूं। जब आपका मौका आएगा, तब बोलिएगा। गरिमा बनाकर रखें। इस पर कैलाश मौन हो गए। कुछ ही देर में उन्हें गलती का अहसास भी हो गया और 'समझदारीÓ दिखाते हुए उन्होंने सार्वजनिक रूप से अपने व्यवहार पर माफी मांगी।
'लोकतंत्र के लिए किया यह सबकुछÓ
बाहर आने के बाद माफी मांगने के सवाल पर कैलाश ने मीडिया को बताया पहली बार एमपीसीए की साधारण सभा लोकतांत्रिक तरीके से हुई। मैंने इसी के लिए प्रयास किया और मैं उसमें कामयाब भी रहा।
सिंधिया को देखने उमड़े कांग्रेसियों पर बरसी लाठियां
करीब 9.30 बजे सिंधिया बाहर आए और कार्यकर्ताओं से मिलने पहुंचे। उन्होंने पुलिस के एक वाहन पर खड़े होकर सभी का अभिवादन किया। कार्यकर्ता उन्हें देखने उमड़े, जिससे अनियंत्रण की स्थिति बनी। पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, नहीं माने तो लाठियां बरसाई। बाद में कांग्रेस नेताओं ने कार्यकर्ताओं को काबू किया। सिंधिया के साथ सांसद सज्जन वर्मा और विधायक अश्विन जोशीï, तुलसी सिलावट, सत्यनारायरण पटेल भी मौजूद थे।
सिंधिया ने ठुकराई समझौते की पेशकश
केंद्रीय उद्योग राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और मप्र के उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की दावेदारी के कारण देशभर में चर्चित हो चुके मप्र क्रिकेट एसोसिएशन (एमपीसीए) के चुनाव की प्रक्रिया रविवार को इंदौर के उषाराजे स्टेडियम में शुरू हुई। साधारण सभा के दौरान चुनाव टालने के लिए सिंधिया से कई सदस्यों ने आग्रह किया, लेकिन उन्होंने समझौते की पेशकश को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने साफ कहा, चुनाव लड़कर ही अध्यक्ष बनूंगा। किसी से किसी पद के लिए कोई समझौता नहीं होगा। उधर, एमपीसीए की साधारण सभा के दौरान कैलाश को अपने ही व्यवहार के कारण माफी मांगना पड़ी।
स्टेडियम में प्रात: 10.30 बजे एमपीसीए की मैनेजिंग कमेटी की बैठक होना थी, लेकिन 8 बजे से ही यहां गहमागहमी शुरू हो गई थी। सिंधिया के समर्थन में वरिष्ठ कांग्रेस नेता महेश जोशी की अगुवाई में कांग्रेस के कई दिग्गज नेता जुट गए थे। विजयवर्गीय समर्थक स्टेडियम के बाहर नहीं फटके। प्रात: 10.45 बजे मैनेजिंग कमेटी की बैठक हुई। इसमें कुछ प्रस्ताव पास किए गए और दोपहर 12.30 बजे साधारण सभा शुरू हो गई। राज परिवार की उषाराजे और संतोष मल्होत्रा समेत कई वरिष्ठ सदस्यों ने एमपीसीए के मौजूदा अध्यक्ष सिंधिया से आग्रह किया कि आज तक कभी एमपीसीए के चुनाव नहीं हुए। इसी परंपरा को आगे भी निभाया जाए। इस दौरान कैलाश के चेहरे के हावभाव बता रहे थे कि वे भी चुनाव के पक्ष में नहीं है। बैठक में हिस्सा लेने जाने के पहले ही कैलाश ने मीडिया को कहा भी था हम शुरू दिन से चुनाव के पक्ष में नहीं हैं। हमने सारे विकल्प खुले रखे हैं। सिंधिया ने परंपरा निभाने के प्रस्ताव को नकारते हुए कहा, पंद्रह दिन से जो बातें हो रही हैं, उसे देखते हुए चुनाव अनिवार्य है और बगैर चुनाव के मैं अध्यक्ष नहीं बनना चाहता। आखिर दोपहर 2.40 बजे चुनाव की घोषणा हो गई। दिलीप चुडकर को रिटर्निंग अधिकारी नियुक्त कर दिया गया और दोपहर 3.15 बजे तक नामांकन भरने का समय निर्धारित किया गया। 3.45 बजे तक नाम वापसी का समय तय किया गया। शाम 5.45 से मतदान शुरू हुआ।
जगदाले के लिए बदली रणनीति
चुनाव की घोषणा के बाद सिंधिया पैनल ने तत्काल रणनीति बदलते हुए सचिव पद के लिए पहले से घोषित उम्मीदवार संजय जगदाले को हटा लिया। उनके स्थान पर नरेंद्र मेनन को उतारा गया। दरअसल, जगदाले लगातार दो बार से सचिव पद पर पदस्थ हैं और इस बार फिर से सचिव बनने के लिए उन्हें दो तिहाई वोट हासिल करना अनिवार्य है। चुनाव में किसी किस्म का चौखिम मोल नहीं लेने की रणनीति के तहत सिंधिया ने उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया।
उषाराजे स्टेडियम का नया नाम होल्कर स्टेडियम
करीब पौने दो घंटे चली मैनेजिंग कमेटी की बैठक में तय किया गया कि उषाराजे स्टेडियम का नाम होल्कर स्टेडियम कर दिया जाएगा। पूर्व क्रिकेटर एसपी चतुर्वेदी की अध्यक्षता में एक कमेटी भी बनाई गई, जो स्टेडियम में मौजूद बॉक्सों के नामकरण के लिए क्रिकेटरों के नाम सुझाएगी। यह भी तय हो गया कि इंदौर और ग्वालियर में स्टेडियम के लिए 25-25 एकड़ जमीन का इंतजाम एमपीसीए द्वारा किया जाएगा।
वेशभूषा में स्मार्ट दिखे सिंधिया
सिंधिया फारमल पेंट शर्ट के साथ ही गहरे नीले रंग का कोट पहनकर आए थे, जबकि कैलाश पारंपरिक अंदाज में सफेद कुर्ते पायजामे पर केशरिया दुपट्टा डालकर। दोनों की वेशभूषा भी चुनावी चर्चा में शामिल रही। लोगों का कहना था एमपीसीए की गरिमा के अनुसार तो जेंटलमेन और स्मार्ट सिंधिया को ही ज्यादा अंक मिलेंगे।
'चुनाव होना ही चाहिए नहीं तो मैं चलाÓ
खेल प्रशाल और आईडीए बिल्डिंग के मेनगेट पर जैसे ही सिंधिया पहुंचे, महेश जोशी से उनकी मुलाकात हुई। जोशी ने सिंधिया को कहा चुनाव होना ही चाहिए, नहीं तो मैं चला जाऊंगा। किसी भी स्थिति में समझौता नहीं करना है। सिंधिया ने भी उन्हें आश्वस्त किया कि आप जैसा चाहते हैं, वैसा ही होगा।
सुबह से चलते रहे बयानों के बाउंसर
प्रात: 10.10 बजे : कैलाश विजयवर्गीय
उपाध्यक्ष पद के दावेदार रमेश भाटिया के साथ गाड़ी से उतरे और बोले हम तो शुरू दिन से ही चुनाव नहीं चाहते हैं। इंदौर को मिला स्टेडियम, एकेडेमी और जिम सबकुछ बीसीसीआई ने दिया है, एमपीसीए ने कुछ नहीं दिया। निर्वाचित होने पर पांच वर्ष में पांच अंतरराष्टï्रीय क्रिकेटर तैयार करूंगा। गरीब खिलाडिय़ों के लिए फंड बनाऊंगा।
प्रात: 10.35 बजे: ज्योतिरादित्य सिंधिया
दूसरे बैरिकेट्स के यहां से पैदल चलकर मेनगेट तक पहुंचे। मीडिया से अनौपचारिक चर्चा में बोले अब तो चुनाव हो ही जाए। कुछ ही घंटों में सबके सामने दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। वे आत्मविश्वास से भरे थे और अपने पीए पाराशर के साथ स्टेडियम में प्रविष्ठ हुए।
प्रात: 11 बजे: सज्जन वर्मा
देवास क्रिकेट एसोसिएशन की नुमाइंदगी की। पैदल आने का कारण पूछा तो बोले कुछ लोगों को सड़क पर लाना है। कहा यह कांग्रेस-भाजपा की लड़ाई नहीं है, क्रिकेटर और गैर क्रिकेटर की जंग है। विजयवर्गीय बताएं कि डेढ़ वर्ष से इंदौर डिवीजन में होने के बावजूद उन्होंने मैदान के लिए जमीन का इंतजाम क्यों नहीं किया?
प्रात: 11.10 बजे: महेश जोशी
मेनगेट पर करीब तीन घंटे तक तैनात रहे। मीडिया से कहा पहले चूक गया था, तो ओलंपिक संघ में गंदगी घूस गई, अब यहां नहीं घुसने दूंगा। कुछ उठाईगिरे किस्म के लोग क्रिकेट की फिजा बिगाडऩा चाहते हैं, उन्हें कामयाब नहीं होने दिया जाएगा।
प्रात: 11.15 बजे: अशोक जगदाले
कैलाश पैनल से चेयरमैन पद के दावेदार बनकर आए और कहा चुनाव लड़कर ही लौटूंगा। इंदौर के खिलाडिय़ों के साथ भेदभाव हुआ और यह सहन नहीं किया जा सकता।
दोपहर 12 बजे : अश्विन जोशी
वोटर ने नाते भीतर गए। हाथ में 'पत्रिकाÓ अखबार की वे खबरें थी, जिनमें कैलाश के घोटाले प्रकाशित हुए। साफगोई से बोले नेताओं को खेल से दूर हो जाना चाहिए। मैं खुद भी इसके लिए तैयार हूं। सिंधिया जेंटलमेन और क्रिकेटर हैं, इसलिए एमपीसीए का अध्यक्ष पद उनका हक है।
दोपहर 2.45 बजे : श्रवण गुप्ता
एमपीसीए के पूर्व अध्यक्ष ने बताया साधारण सभा सद्भावना पूर्ण तरीके से पूरी हुई। विजयवर्गीय कुछ उखड़े थे, लेकिन बाद में गलती मानकर शांत हो गए। 85 प्रतिशत वोटर आ चुके हैं।
कांग्रेस एकजुट, कैलाश के कारण बिखरी भाजपा
गुटों में बंटी कांग्रेस को भी चुनाव के नाम एकजुटता दिखाने का मौका मिल गया। दिग्गी, पचौरी गुट ने सिंधिया से साथ कंधे से कंधा मिलाकर मैदान संभाला। प्रमोद टंडन, विपीन खुजनेरी, नरेंद्र सलूजा, रघु ठाकुर, संजय शुक्ला, कृपाशंकर शुक्ला, अंतरसिंह दरबार, पंकज संघवी, नरेंद्र सलूजा, अभय दुबे, भल्लू यादव, अभय वर्मा, छोटे यादव के साथ ही विधायक सत्यनारायण पटेल भी मौजूद थे। उधर, भाजपा में बिखराव दिखा। सुमित्रा महाजन, भवंरसिंह शेखावत, सुदर्शन गुप्ता जैसे नेता कैलाश विजयवर्गीय के कारण क्रिकेट के इस मैदान से दूर हो गए। इतना ही नहीं भाजपा ने अंदरूनी तौर पर यह भी तय कर लिया था कि शहर हित में कैलाश को सबक सिखाने का यह सही मौका है।
सिलावट ने संभाली कमान
सिंधिया के कट्टर समर्थक तुलसी सिलावट ने कमान संभाल रखी थी। वे वोटरों को एक-एक करके बुलाते रहे और उन्हें ससम्मान भीतर भेजते रहे। हालांकि, बीच में उनकी एक-दो बार पुलिस से बहस भी हो गई। उनके गनमैन को जब पुलिस ने बेरिकेट्स के बाहर करना चाहा तो सिलावट ने कहा मेरा गनमेन मेरे साथ नहीं रहेगा, तो कहां जाएगा।
सागर, बदनावर, महिदपुर के विधायक भी पहुंचे
सिंधिया के समर्थन में सागर के विधायक गोविंदसिंह राजपूत, बदनावर धार के राजवद्र्धनसिंह दत्तेगांव और महिदपुर की कल्पना पैरूलकर भी पहुंची। उज्जैन के पूर्व विधायक राजेंद्र भारती भी मौजूद थे।
तीन स्थानों पर पुलिस चेकिंग
स्टेडियम में जाने वाले हर सदस्य की चेकिंग के लिए तीन चरण तय किए गए थे। एक रेसकोर्ट रोड मुहाने पर, दूसरा खेल प्रशाल के मेनगेट के पास में और तीसरा उषाराजे स्टेडियम का मेनगेट। बगैर पहचान पत्र बताए किसी भी पहले गेट से ही अंदर नहीं जाने दिया गया। मीडिया सदस्यों को दूसरे चरण तक की अनुमति थी, जबकि एमपीसीए के वोटर ही तीसरे चरण के पार जा सके।
बार-बार जाम हुआ ट्रैफिक
रेसकोर्स रोड पर प्रात: 11 बजे से ही ट्रैफिक का हाल बिगडऩे लगा था। पुलिस ने कई बंदोबस्त किए, लेकिन वे भी नाकाफी साबित हुए। दोपहर 12 बजे बाद बैरिकेडिंग की गई और इसके बाद कुछ देर के लिए हालात काबू रहे, किंतु बाद में फिर से स्थिति बिगड़ गई।
बारिश से मची अफरातफरी
दोपहर 2.15 बजे हल्की बारिश शुरू होते ही कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई। कांग्रेसी आसपास के शापिंग कॉम्प्लेक्सों की ओर दौड़े और खुद को भीगने से बचाया। हालांकि, बारिश कुछ मिनिटों में ही बंद हो गई और फिर से लोग सड़के आसपास जुट गए।
95 वर्षीय दुबे भी पहुंचे
टसल में तबदील हो चुनाव में वोट देने के लिए 95 वर्षीय एमएम दुबे भी स्टेडियम पहुंचे। उन्होंने कहा क्रिकेट को जिंदा रखने के लिए मैं यहां आया हूं।
कैलाश बोले, मैं हार-जीत के लिए चुनाव नहीं लड़ा
वोटिंग समाप्त होने के तत्काल बाद कैलाश विजयवर्गीय स्टेडियम से बाहर आए और मीडिया से मुखातिब हुए। पराजित योद्धा की मुद्रा में उन्होंने कहा मैं हार-जीत के लिए चुनाव नहीं लड़ा था। मैं तो उसी दिन जीत गया था, जब सिंधिया जैसे 'महाराजाÓ को सड़क पर उतर कर वोट मांगना पड़े। खुद की मर्जी से नहीं, मैं तो क्रिकेटरों के लिए मैदान में उतरा। साधारण सभा में उनके द्वारा माफी मांगने की घटना पर वे बोले पहली बार साधारण सभा में लोकतांत्रिक तरीके से चर्चा हुई।
कैलाश को नहीं मिला उम्मीदवार
कैलाश पैनल की बुरी हालत का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि उन्हें मैनेजिंग कमेटी के लिए पूरे चार उम्मीदवार भी नहीं मिले। उन्होंने गोपालदास मेहता, डॉ. अपूर्व वोरा व मानवेंद्रसिंह बैस को ही मैदान में उतारा, जबकि सिंधिया पैनल की ओर से हर पोस्ट के लिए उम्मीदवार मैदान में था।
पत्रिका : २३ अगस्त २०१०
साथ में विकास मिश्रा
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