बुधवार, 6 अक्टूबर 2010

भारत में रोक, इंदौर में चालू

- चाचा नेहरू अस्पताल में स्वस्थ युवतियों पर ग्रीवा कैंसर टीके के ट्रायल पर उठा सवाल
- आंध्रप्रदेश-गुजरात में जा चुकी जानें, फिर भी नहीं जाग रहा मध्यप्रदेश


जिस टीके के कारण आंध्रप्रदेश में चार स्वस्थ युवतियों की जान चली गई, जिस टीके के प्रयोग पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया, जिस टीके के भरोसेमंद होने की गारंटी नहीं है और जो टीका शुरू दिन से ही विवाद में है... उस टीके का एमजीएम मेडिकल कॉलेज से जुड़े चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में प्रयोग हो रहा है। प्रयोग में कई जरूरी मापदंडों को भी ताक में रखा गया है।

'पत्रिकाÓ के पास उपलब्ध दस्तावेजों के मुताबिक शिशु रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. हेमंत जैन की अगुवाई में मल्टीवेलेंट एचपीवी टीके का ट्रायल जारी है। कथित तौर पर यह टीका महिलाओं को बुढ़ापे में विकसित होने वाले ग्रीवा कैंसर को रोकता है। करीब एक वर्ष पहले आंध्रप्रदेश के खम्मम में चार और गुजरात के बढ़ौदा में दो  युवतियों की मौत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलामनबी आजाद ने इस टीके के ट्रायल पर प्रतिबंध लगा दिया था।

आंध्रप्रदेश में टीके को लेकर उठी बहस में अग्रणी रही कल्पना मेहता मंगलवार को इंदौर में थीं। 'पत्रिकाÓ ने जब उन्हें इंदौर में जारी ट्रायल के बारे में बताया तो चकित होते हुए उन्होंने बताया यह टीका कितना कारगर है, यह अभी किसी को पता नहीं। अमेरिकन, ब्रिटिश और आस्ट्रेलियन दवा कंपनियों ने ग्रीवा कैंसर का खौफ फैलाकर यह टीका बाजार में उतार दिया है। इस टीके के प्रयोग में स्वस्थ युवतियों की जरूरत होती है। आंध्रप्रदेश व गुजरात में तो डॉक्टरों ने गल्र्स होस्टल में रहने वाली युवतियों को सब्जेक्ट बनाया था, यहां क्या हो रहा है, यह कोई नहीं जानता।


 आईसीएमआर, डीसीजीआई रोके 
केंद्र सरकार ने इस टीके के ट्रायल पर रोक लगाई है, फिर भी यहां क्यों हो रहा?
यह ट्रायल इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की अनुमति से चल रहा है। वे रोकेंगे, तो बंद कर देंगे।
आपके अस्पताल में तो रोगी आते हैं, जबकि इसमें स्वस्थ युवतियों की जरूरत होती है?
हमारे क्लिनिक में जो लोग आते हैं, उनसे पूछताछ करके हम युवतियों का चयन करते हैं।
आप ब'चों के डॉक्टर हैं, जबकि टीका युवतियों को लगता है?
हमने ट्रायल में एक महिला रोग विशेषज्ञ को भी जोड़ रखा है।
यह ट्रायल आखिर क्यों जरूरी है?
दुनियाभर में 2.75 लाख महिलाओं की हर वर्ष ग्रीवा कैंसर से मौत हो जाती है। यह टीका लगेगा, तो कैंसर नहीं होगा।
ट्रायल से गुजरात-आंध्र में मौतें हो चुकी है, यहां ऐसा केस तो नहीं आया?
वहां हुई मौत के कारण अभी साफ नहीं है। मेरी जानकारी में एक युवती की बुखार से और एक की आत्महत्या के कारण मृत्यु हुई। इंदौर में 39 युवतियों पर ट्रायल हुआ, सभी स्थिति ठीक है। वैसे भी यह फेज फोर का ट्रायल है, यानि टीका बाजार में उपलब्ध है।
आप तीन डोज देते हैं, बूस्टर डोज के बारे में क्या नीति है?
यह तो शून्य, एक व छह महीने के क्रम में लगता है। बूस्टर डोज की जरूरत ही नहीं है।
(डॉ. हेमंत जैन से चर्चा)

सच नहीं बोल रहे हैं डॉ. जैन
- वे जो ट्रायल कर रहे हैं, वह फेज फोर नहीं, थ्री का ट्रायल है।
- बाजार में गार्डेसिल (वी-501) उपलब्ध है, जबकि ट्रायल मल्टीवेलेंट (वी-503) का हो रहा है।
- विधानसभा में भेजी जानकारी से स्पष्ट है कि ट्रायल में कोई महिला रोग विशेषज्ञ शामिल नहीं है।
- बूस्टर डोज के बगैर यह टीका पूरा नहीं हो सकता। दुनियाभर में इसे लेकर बहस जारी है।
- आईसीएमआर का मानता है कि टीके की सफलता संदिग्ध है।
जानलेवा टीका
- एचपीवी टीके के तीन डोज 10 से 12 हजार रुपए के आते हैं।
- सितंबर 2009 में ब्रिटेन के कोवेंट्री में एक स्कूली छात्रा के रूप में पहली मौत रिपोर्ट की गई।
- टीके के कारण अमेरिका में 15 हजार लड़कियों पर दुष्प्रभाव और 61 की मौत रिपोर्ट हो चुकी है।
- जर्मनी एवं आस्ट्रेलिया में भी एक-एक लड़की की मौत हो चुकी है।



पत्रिका : ०७ अक्टूबर २०१०

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