शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

चूना था, तो जनता को क्यों नहीं दे दिया?

- यूका कचरे पर भोपाल गैस त्रासदी आयोग का रामकी प्रबंधन से सवाल
- कचरे को पीथमपुर में दफन करने की संभावना तलाशने पहुंचे जस्टिस कोचर


भोपाल गैस त्रासदी से जुड़ मसलों पर जस्टिस एसएल कोचर की अध्यक्षता में गठित एक सदस्यी जांच आयोग शनिवार को पीथमपुर स्थित रामकी संयंत्र में था। आयोग ने संयंत्र का दौरा कर यूनियन कार्बाइड का कचरा यहां दफन करने की संभावना तलाशी। रामकी प्रबंधन ने बताया भोपाल से यहां लाए गए 33 टन कचरे में कोई विषैली सामग्री नहीं थी, वह तो महज चूना था। इस पर जस्टिस कोचर ने सवाल किया चूना था तो यहां क्यों लाए, आम लोगों को क्यों नहीं दे दिया गया। रामकी के पास इसका कोई जवाब नहीं था। लोकमैत्री संगठन व आजादी बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने भी आयोग से मुलाकात कर रामकी की खामियों की जानकारी दी। आयोग ने उनसे मय दस्तावेज सारे तथ्य मांगे हैं। संयंत्र के अधिकारी अमित चौधरी ने औद्योगिक कचरे को नष्टï करने की विधि का प्रेजेंटेशन दिया।

चकित रह गए आपत्तिकर्ता
आयोग के समक्ष बात रखने आए तपन भट्टाचार्य से जब पूछा गया आप कहां तक पढ़े हैं और क्या करते हैं? तो वे चकित रह गए क्योंकि आयोग का इस बात से सीधे तौर पर कोई ताल्लुक नहीं है। हांलाकि, उन्होंने बताया मैं पूर्ण रूप से सामाजिक कार्य में जुटा हूं और मेरे परिवार का खर्च मेरी पत्नी की तनख्वाह से चलता है। शिक्षा का ब्यौरा भी दिया।

भूसे में से गेंहू निकालना मेरा काम
प्रो. प्रसाद ने जब बातें विस्तार से रखना शुरू की तो आयोग ने बीच में ही टोक दिया। प्रोफेसर ने बताया मैं तो अखबार में आयोग की सूचना पढ़कर आया हूं, आप नहीं सुनना चाहें तो आपकी मर्जी। इस पर जस्टिस कोचर बोले मैं आपकी बात सुन रहा हूं, बस मैं कुछ बातें जानना चाहता हूं इसलिए रोक रहा हूं। मेरा काम ही भूसे से गेंहू निकालना है।


नकार चुके केंद्र-राज्य
रामकी सयंत्र की खामियों और आम जनता के विरोध को देखते हुए केंद्र और राज्य सरकार यूका कचरे को यहां लाने की मनाही कर चुके हैं। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने 9 जुलाई को और केंद्र सरकार के मंत्री समूह ने 27 सितंबर को इस संबंध में घोषणा की थी।
 उजागर करने के साथ इस अहम लड़ाई की शुरुआत हुई। इसके लिए पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष डॉ. गौतम कोठारी द्वारा सूचना का अधिकार में जुटाए गए दस्तावेजों की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका रही। लगातार छह महीने से उन्होंने केंद्र सरकार, राज्य सरकार, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और मप्र पर्यावरण प्रदूषण बोर्ड के यहां अर्जियां लगाई और जानकारियों का पुलिंदा तैयार किया।


टॉस्क फोर्स ने मान चुकी है यूका कचरा विषैला है इसीलिए आयोग को रामकी पर विचार नहीं करना चाहिए। वैसे भी रामकी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार मल्टी इफेक्ट इवेपोरेटर अब तक नहीं लगाया है। हम जो भी कह रहे हैं उसके प्रमाण मौजूद हैं।
- प्रो. आरडी प्रसाद, लोकमैत्री संगठन

रामकी के स्थान का चयन गलत है। संयंत्र की बाउंड्री पर ही तारपुरा गांव है। वहां के लोगों को बीमारियां भी होने लगी है। यहां के पानी का बहाव इंदौर के यशवंत सागर तक जाता है, जो कि पेयजल का स्त्रोत है। आयोग को रामकी का स्थान बदलने की सिफारिश करना चाहिए।
- तपन भट्टाचार्य, आजादी बचाओ आंदोलन

आयोग सात बिंदुओं पर जांच कर रहा है। अब तक भोपाल में दो बैठकें हो चुकी हैं। यूका कचरा निपटान के बारे में भी आयोग को ही फैसला करना है। यह पहला दौरा था। लोगों को बात रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। जिसे जो भी कहना है, तथ्य सहित बताना होगा।
- जस्टिस एसएल कोचर, अध्यक्ष, भोपाल गैस त्रासदी जांच आयोग



Patrika 23 oct 2010

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