मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सयैय्द रफत आलम ने गुरुवार को एक टेलीग्राम को जनहित याचिका माना है। उन्हें यह टेलीग्राम इंदौर के न्यायिक कार्यकर्ता सत्यपाल आनंद ने पूरे राज्य में जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के बारे में भेजा था। आनंद ने कोर्ट से हड़ताली डॉक्टरों के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का केस दायर करने की मांग की है। टेलीग्राम को याचिका मानने का मध्यप्रदेश में संभवत: यह पहला मामला है।
बुधवार प्रात: 9.15 बजे आनंद ने चीफ जस्टिस को एक तार भेजा था। इसमें उन्होंने मांग की थी डॉक्टरों की हड़ताल से आम जनता को संविधान में प्रदत्त जीवन सुरक्षा और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार खतरे में आ गया है। डॉक्टरों को तत्काल सेवा में बुलाया जाए और अस्पतालों की सेवाएं बहाल की जाए। गुरुवार दोपहर 4 बजे आनंद को हाईकोर्ट से सूचना मिली कि उनके तार को लेटर पीटिशन (पत्र याचिका) माना गया है। इस पर शुक्रवार को जबलपुर हाईकोर्ट में सुनवाई होगी।
जा नहीं पाएंगे आंनद
आनंद ने 'पत्रिकाÓ को बताया आंखों की बीमारी के कारण मैं जबलपुर नहीं जा सकूंगा। मैंने कोर्ट से आग्रह किया है मेरी ही जनहित याचिका (8340/09) में 18 नवंबर 2009 को हुए आदेश के मुताबिक राज्य सरकार और डॉक्टर को नोटिस जारी किए जाएं। उन्होंने अगली सुनवाई इंदौर हाईकोर्ट में ही रखने का निवेदन भी कोर्ट से किया है।
लोगों के लिए खुला रास्ता
हाईकोर्ट के इस कदम से लोगों के लिए याचिका दायर करने का एक ओर रास्ता खुल गया है। अखबार, पोस्टकार्ड और किसी पत्र के जरिए तो पहले भी पत्र याचिकाएं मंजूर होती रही हैं। आनंद ने बताया मुझे हाईकोर्ट के इस फैसले की खुशी है, क्योंकि इससे न्यायिक क्षेत्र में एक नई शुरुआत होगी। किसी के मौलिक अधिकार का हनन होता है, तो उसे हाईकोर्ट में टेलीग्राम के जरिए सूचना भेजना चाहिए, ताकि न्यायपालिका उस दिशा में कदम उठा सके।
पत्रिका : २७ अगस्त २०१०
जूडॉ हड़ताल पर कोर्ट ने सरकार से शपथपत्र पर मांगा जवाब
- टेलीग्राम पर मंजूर हुई जनहित याचिका पर जबलपुर में सुनवाई
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हुई जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के विरोध में टेलीग्राम के जरिए मंजूर हुई जनहित याचिका पर जबलपुर हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने हड़ताल पर राज्य सरकार से चार सप्ताह में जवाब मांगा है। सरकार को यह जवाब शपथपत्र पर देना होगा।
हड़ताल से लोगों की जीवन सुरक्षा के अधिकार के खतरे में पडऩे को आधार बनाकर आनंद ट्रस्ट के ट्रस्टी सत्यपाल आनंद ने बुधवार को मप्र के चीफ जस्टिस को टेलीग्राम भेजकर सरकार को निर्देश देकर तत्काल डॉक्टरों को बुलाने का आग्रह किया था। टेलीग्राम को गुरुवार को याचिका माना गया और शुक्रवार को चीफ जस्टिस सयैय्द रफत आलम और आलोक अराधे की युगलपीठ में सुनवाई हुई।
केस की जानकारी देरी से मिलने और बीमारी के कारण आनंद केस के दौरान उपस्थित नहीं हो सके। कोर्ट ने भी यह बात रिकॉर्ड पर ली कि आनंद को सूचना देरी से मिली। आनंद ने 'पत्रिकाÓ को बताया उन्हें खुशी है कि हड़ताल समाप्त होने के बाद भी कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई की और सरकार को नोटिस दिया। अब सरकार को यह बताना होगा कि किन कारणों से हड़ताल हुई और लोगों के मौलिक अधिकारों का किन परिस्थितियों में उल्लंघन हुआ।
पत्रिका : २८ अगस्त २०१०
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