मंगलवार, 31 अगस्त 2010

स्वाइन फ्लू संदिग्ध दो महिलाओं की मौत

- एक राजगढ़ निवासी, दूसरी इंदौर
- अधिकृत तौर पर हो चुकी सात मौतें 
 

स्वाइन फ्लू (एच-1 एन-1) के लक्षणों से पीडि़त दो महिलाओं की रविवार को मौत हो गई। दोनों के नाक के द्रव (स्वाब) के नमूने जांच के लिए जबलपुर भेजे गए हैं और रिपोर्ट आना शेष है। मृतक जमीला (30) इंदौर की निवासी है, जबकि कौशल्या बाई (35) रागगढ़ की। दोनों क्रमश: एमवाय अस्पताल और बांबे अस्पताल में भर्ती थीं। एमवायएच में ही भर्ती इंदौर के एक अन्य युवक में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई है। अगस्त में अब तक इंदौर में 17 रोगियों में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई व इनमें से सात की मृत्यु हो गई।

मुख्य स्वास्थ्य एवं चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. शरद पंडित ने बताया जिन महिलाओं की मौत हुई है, उनमें स्वाइन फ्लू के लक्षण थे। शनिवार को भेजे चार नमूनों में से एक की पॉजिटिव रिपोर्ट आई है, शेष तीन की रिपोर्ट अभी बाकी है। दो नए रोगियों के सेंपल भी जांच के लिए भेजे गए हैं। सूत्रों ने बताया जमीला को रविवार दोपहर ही एमवायएच में भर्ती किया गया था और शाम को उसकी मृत्यु हो गई।

आज से एमवायएच में ओपीडी
सोमवार से एमवायएच के केज्यूलिटी भवन में स्वाइन फ्लू के लिए प्रात: 8 से दोपहर 3 बजे तक विशेष ओपीडी शुरू हो जाएगी। मेडिसिन विभाग के डॉ. धमेंद्र झंवर ने बताया वर्तमान में मेडिसिन के रोगियों के साथ ही फ्लू के संदिग्ध मरीजों को देखा जा रहा है। फिलहाल अस्पताल की पांचवी मंजिल के वार्ड 26 में दो संदिग्ध मरीजों का उपचार जारी है।



 पत्रिका : ३० अगस्त २०१०

दायर बढ़ा रहा स्वाइन फ्लू
- सावधानी ही बचने का सबसे आसान रास्ता
- 29 दिन में मप्र में 18 मौतें
- चार महीने में देशभर में गईं 2024 जानें


हवा के जरिए फैलने वाले एच-1 एन-1 वायरस से होने वाले फ्लू (स्वाइन फ्लू) का दायरा पूरे देश में बहुत तेजी से बढ़ रहा है। चार महीने में देश में इससे 2024 लोगों की मौत हो चुकी है। अगस्त में मप्र में भी इसने पांव पसारे और 29 दिन में ही 18 रोगियों की मृत्यु का कारण बना। मोटे तौर पर रोगियों में से पांच फीसदी की मौत हो रही है।

 चौंकाते आंकड़े
- मई से 22 अगस्त तक देशभर में स्वाइन फ्लू के 38 हजार 730 मरीज सामने आए। इनमें से 2024 की मौत हो गई।
- सबसे अधिक 717 मौतें महाराष्टï्र में हुई। 340 मौतों के कारण गुजरात दूसरे क्रम पर है। मप्र में 45 मौतें हुईं।

अगस्त में मप्र के हाल
जिला             पॉजिटिव       मौत    भर्ती          गंभीर
इंदौर                      17            07        10            04
भोपाल                   21            05        23            15
जबलपुर                 29            05        13            00
रतलाम                   00            00        01            00
उज्जैन                    03            00        02            00ï
ग्वालियर                 01            01        01            00
दमोह                      01            00        01            00
कुल                        72            18        51            19
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डरने से नहीं सावधानी से चलेगी जिंदगी

डॉक्टरों का कहना है फ्लू का वायरस हवा में है और इससे डरने के बजाए सावधानी बरतने की आवश्यकता है। बाजार में कुछ टीके आए हैं, लेकिन हर व्यक्ति के लिए इन्हें लगा पाना संभव नहीं है।

सामान्य सर्दी-खाँसी एवं फ्लू में फक्र
सामान्यत: प्रतिवर्ष ठंड के मौसम में या उसके आसपास फ्लू होता है। सामान्य सर्दी-खाँसी के अलावा फ्लू में बुखार, हाथ-पैरों कमर में दर्द, सिर दर्द, थकावट आदि तेज लक्षण साथ में होते हैं। लक्षणों के आधार पर दोनों में अंतर करना संभव नहीं है, लेकिन स्वाइन फ्लू से पीडि़त व्यक्ति के संपर्क में आने से आशंका बढ़ जाती है।

सूअर (स्वाइन) से नहीं ताल्लुक
वायरस के संक्रमण के शुरुआती दौर से ही यह भ्रम है कि यह वही फ्लू है जो सूअरों में होता है। लेकिन असल में यह नया वायरस है। अत: सूअर के संपर्क में आने से या उसका मांस खाने से यह नहीं फैलता है।

ऐसे फैलता है स्वाइन फ्लू
1. संक्रमित व्यक्ति के खाँसने या छींकने से।
2. उन वस्तुओं को हाथ लगाने से जिसे संक्रमित व्यक्ति ने छुआ हो। संक्रमित व्यक्ति स्वयं के लक्षण आने के एक दिन पहले से सात दिन बाद तक इसे फैला सकता है।

खुद को बचाने के दस तरीके

1. जितना संभव हो हाथ साबुन से धोएँ।
2. यदि साबुन उपलब्ध न हो तो अल्कोहल आधारित क्लिनर से हाथ धोएँ।
3. संक्रमित व्यक्ति या ऐसा व्यक्ति जिसे स्वाइन फ्लू की आशंका हो, उससे दूरी रखें (कम से कम 6 फुट)।
4. यदि आपको स्वयं को स्वाइन फ्लू जैसे लक्षण हैं, तो घर में रहिए।
5. यदि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना भी पड़ता है, तो फेस मास्क या रेस्पिरेटर पहनें।
6. स्तनपान कराने वाली माताएँ स्वयं के संक्रमित होने पर ब'चे को दूध न पिलाएँ।
7. खाँसी या छींक आने पर टिशु पेपर का इस्तेमाल करें एवं उसे तुरंत डस्टबीन में फेंकें।
8. भीड़ वाली जगह पर न जाएँ।
9. पानी अधिक मात्रा में पिएँ।
10. भरपूर नींद लें, इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

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