- आईसीएमआर ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज को भेजा पत्र
बहुराष्ट्रीय दवा कंपनियों द्वारा विकसित दवा के मरीजों पर प्रयोग (ड्रग ट्रायल) पर भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज को एक पत्र लिखा है। परिषद जानना चाहती है कि जिन भारतीय रोगियों पर ट्रायल किया गया है, उनके खून के नमूने किसकी इजाजत से विदेश भेजे गए? क्या इसमें नियमों का पालन हुआ है?
कॉलेज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया जिन डॉक्टरों ने ट्रायल किए है, उन्हें आईसीएमआर के पत्र के आधार पर जवाब-तलब किया जा रहा है। यह मसला बायोलॉजिकल प्रोडक्ट कानून से जुड़ा हुआ है। अभी तक इस ओर किसी का ध्यान नहीं गया था। माना जा रहा है यह कॉलेज प्रबंधन और पूरे विभाग के लिए नई मुसीबत का कारण बनेगा। उधर, ट्रायल में लिप्त एक डॉक्टर ने 'पत्रिकाÓ को बताया जो दवा कंपनी ट्रायल करवाती है, वह अपनी उ'च क्षमता लेबोरेटरी में नमूनों को परखना चाहती है, यही वजह है कि नमूने विदेश भेजे जाते हैं। उन नमूनों का और क्या इस्तेमाल होता होगा, यह किसी को अंदाजा नहीं है।
आरटीआई से जुड़ा मसला
दरअसल, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता रोली शिवहरे ने आईसीएमआर से सवाल पूछा था कि ट्रायल से गुजर रहे मरीजों के खून, मूत्र, स्वाब आदि के नमूने जांच के लिए विदेश भेजे जाते हैं। इसकी अनुमति ली गई है या नहीं? यदि हां, तो किस कानून के तहत? इन सवालों के जवाब जब आईसीएमआर को नहीं मिले, तो उन्होंने मध्यप्रदेश स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभागों को पत्र लिखकर जानकारी चाही है।
पत्रिका : २६ सितम्बर २०१०
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