गुरुवार, 30 सितंबर 2010

बागड़ खा गई खेत

विनयनगर में अवैध निर्माण
- निगम इंजीनियर ने सड़क पर पास करवाया मकान का नक्शा
- हाईकोर्ट में उजागर हो गया निगम-टीएंडसीपी का झूठ इंदौर




विनय नगर की 40 फीट चौड़ी सड़क की जमीन पर जिन लोगों ने मकान का नक्शा पास करवा लिया था, उनमें से एक का सीधा ताल्लुक इंदौर नगरनिगम के इंजीनियर से है। सरकारी इंजीनियर को पनाह देने के लिए निगम और टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग तक ने गलती पर पर्दा डालने की भरसक कोशिश की, लेकिन हाईकोर्ट की निगाह से वे बच नहीं सके। सरकारी दफ्तरों ने तो 'फाइल गायबÓ तक के तर्क दे दिए थे, परंतु फरियादी के दस्तावेजों ने पोल खोल दी। हाईकोर्ट ने नक्शे को अवैध माना और निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दे दिया।

मामला विनय नगर के भीतरी बगीचे के पास की सड़क का है। वहां पहले डामर की सड़क हुआ करती थी। विनयनगर हाउसिंग सोसाइटी ने सड़क के किनारे मौजूद प्लॉट नंबर 173 और 188 के पास में क्रम से 173 (ए) और 188 (ए) नाम से प्लॉट काट दिए। प्लॉट नंबर 173 पर बने मकान में दीपक पटेल रहते हैं, जो निगम में इंजीनियर हैं। उनके पिता अमृतलाल (अंबू) पटेल भी रिटायर्ड निगम इंजीनियर हैं। नया नक्शा दीपक के भाई हितेष पटेल के नाम से है।

निगम की गाड़ी होती है पार्क
पटेल के प्लॉट पर फिलहाल बाउंड्रीवाल बनी है और इसमें एमपी09, एचडी-9058 इंडिका खड़ी रहती है। इस पर 'नगरनिगम सेवाÓ  लिखा गया है। पटेल परिवार की महिलाओं ने बताया यह प्लॉट हमारा हो गया है। हमारे खिलाफ अर्जी लगाने वालों की फाइल एक बार हाईकोर्ट ने फेंक दी थी।

अवैध को ध्वस्त करना ही रास्ता : हाईकोर्ट
विनयनगर निवासी अनिल कुकरेजा और अन्य ने इस मामले को लगातार तीन बार हाईकोर्ट में दायर किया। पूर्व में जस्टिस विनय मित्तल ने निर्माण कार्य पर स्थगन आदेश दिया था और बाद में जस्टिस शांतनु केमकर ने भी निर्माण को अतिक्रमण माना था। 9 सितंबर 2010 को जस्टिस एससी शर्मा ने 21 पृष्ठ का अंतिम फैसला सुनाया। इसमें सुप्रीम कोर्ट एक कुछ फैसलों का जिक्र दर्ज है, जिनमें सड़क या पार्किंग की जमीन पर बने बहुमंजिला भवन, स्कूल या अस्पताल तक को नेस्तनाबूत करने के उदाहरण मौजूद हैं। हाईकोर्ट ने सड़क की जमीन खरीदने वालों को छूट दी है कि वे कानूनी तरीके से अपने रुपए उस व्यक्ति से वसूलें, जिसने गलत नक्शा दिखाकर उन्हें प्लॉट बेच दिया।


अफसरों ने किया अतिक्रमण को मजबूत

नगरनिगम : बगैर रिकॉर्ड देखे दी अनुमति
विनयनगर का मूल नक्शा 16 अगस्त 1985 को पास हुआ, तब 40 फीट की सड़क दर्शाई गई थी। जुलाई 1998 में टीएंडसीपी ने सड़क की चौड़ाई 10 फीट करके पटेल का नक्शा पास कर दिया। इसी के आधार पर 25 जनवरी 2008 को निगम ने निर्माण की अनुमति दे दी।

टीएंडसीपी : गायब कर दिया रिकॉर्ड
टीएंडसीपी के द्वारा पारित नक्शे के आधार पर दोनों प्लॉटों पर निर्माण की राह खुली और टीएंडसीपी ने ही बाद में कहा दिया कि मामले में 1998 के बाद के दस्तावेज उपलब्ध ही नहीं है। रिकॉर्ड गायब होने को हाईकोर्ट ने बेहद गंभीर मानते हुए टिप्पणी की है कि संभवत: जानबूझकर रिकॉर्ड गायब किया गया है।

हाउसिंग सोसाइटी : खाली जगह बेचने का सिलसिला
मीठालाल राका की अध्यक्षता वाली विनयनगर हाउसिंग सोसाइटी ने 1985 में मंजूर हुए नक्शे को बाद में बेचना शुरू कर दिया। मूलत: करीब 20 एकड़ में फैली इस कॉलोनी का वर्तमान में करीब 22 एकड़ पर कब्जा है। नक्शे में पार्क और वाणिज्यिक उपयोग की जमीन को भी मकानों के लिए बेच दिया। हाईकोर्ट में परिवादी बनाने के बावजूद सोसाइटी की ओर से कोई मौजूद नहीं हुआ।


'मैं इस बारे में कुछ नहीं कहना चाहता हूं। आपका नंबर मेरे मोबाइल पर आ गया है। मैं अपने भाई दीपक और पिता अमृतलाल पटेल से कह दूंगा। वे आपसे बात कर लेंगे।Ó
- हितेष पटेल, सड़क पर नक्शा पास करवाने वाले
(लगातार कोशिश के बावजूद भी तीनों ने बात नहीं की।)

फैसले के पांच सबक
- दस्तावेजों के साथ लड़ाई लड़ी जाए तो सरकारी अफसरों की मिलीभगत भी आखिर में उजागर होती है।
- जब एक ही जमीन के दो नक्शे उपलब्ध हों, तो सबसे पुराने वाले नक्शे को ही सही माना जाए।
- आपकी आंखों के सामने अतिक्रमण हो, तो तत्काल शिकायत करें। ये शिकायतें ही कोर्ट में आधार बनती हैं।
- सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करके मूल दस्तावेज जुटा लें।
- फाइल गायब करने के प्रचलित फंडे का इस्तेमाल करने के बाद भी झूठ को छुपाया नहीं जा सकता।


पत्रिका :  २६ सितम्बर २०१०

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