गुरुवार, 30 सितंबर 2010

फोन पर हुई सुनवाई

- इंदौर के आरटीआई कार्यकर्ता से दिल्ली में मौजूद केंद्रीय सूचना आयुक्त ने लिए बयान
- मामला एमसीआई द्वारा जानकारी नहीं उपलब्ध कराने का


सूचना का अधिकार का उल्लंघन करने के एक मामले में दिल्ली स्थित केंद्रीय सूचना आयुक्त ने सोमवार को फोन पर सुनवाई की गई। उन्होंने इंदौर में मौजूद एक सूचना कार्यकर्ता से आपत्तियां सूनी और संबंधित पक्ष को नोटिस जारी कर दिए।
मामला मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (एमसीआई) से जुड़ा है। इंदौर के सूचना का अधिकार कार्यकर्ता डॉ. आनंद राय ने 6 अप्रैल को तीन जानकारियां मांगी थी, जिसमें से उन्हें एक का ही जवाब दिया गया। इस पर उन्होंने एमसीआई सचिव कर्नल एआरएन सितलवाड़ को प्रथम अपील की थी, परंतु संतोषजनक जवाब नहीं मिला। आखिर उन्होंने केंद्रीय सूचना आयुक्त को अपील कर दी। इस पर जवाब के लिए डॉ. राय को सोमवार को दिल्ली बुलाया गया था, परंतु अन्य काम होने के कारण उन्होंने असमर्थता जताई। इस पर तय किया गया कि दोपहर तीन से चार बजे के बीच फोन पर ही उनके बयान ले लिए जाएंगे। दोपहर 3.25 बजे उनके मोबाइल पर केंद्रीय सूचना आयुक्त अनुपमा दीक्षित का फोन आया।

एमसीआई को दिया नोटिस

आयोग: आपकी आपत्ति बताएं?
अपीलकर्ता: मुझे तीन में से एक ही जानकारियां दी गई हैं। आपके पास मौजूद मूल अर्जी में जिन दो की जानकारी नहीं दी गई, उनका जिक्र है।
आयोग: और क्या आपत्ति है?
अपीलकर्ता: समय सीमा समाप्त होने के बाद में मुझे आयोग ने जानकारी दी और बदले में 150 रुपए लिए, जबकि कानूनन वे ऐसा नहीं कर सकते हैं।
आयोग: आज एमसीआई की और कोई आया नहीं है। हम उन्हें नोटिस जारी कर रहे हैं। जानकारी नहीं देगे, तो उन्हें सजा दी जाएगी।
अपीलकर्ता: मध्यप्रदेश में सूचना कार्यकर्ताओं की सुनवाई नहीं होती है, इस पर भी कार्रवाई करें।
आयोग: हम जिस तरह से विभागों पर पैनल्टी लगा रहे हैं, उसी से सरकारों को सबक मिलेगा। आप सूचनाएं मांगते रहें।
(बातचीत की यह जानकारी अपीलकर्ता डॉ. आंनद राय के मुताबिक।)
 
इन प्रश्नों के नहीं मिले जवाब
  • मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में सीनियर रेसीडेंट के 120 पद रिक्त हैं, फिर भी भोपाल, इंदौर जैसे कॉलेजों को एमसीआई ने मान्यता कैसे प्रदान कर दी?
  • एमसीआई टीम के दौरे के ठीक पहले राज्य सरकार ने एमजीएम मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य विभाग के 28 डॉक्टरों को प्रतिनियुक्ति पर अस्थायी तौर पर भेजा और दौरा होने के बाद उन्हें वापस मूल पद पर बुला लिया। क्या इसकी जानकारी एमसीआई को थी? यदि हां, तो फिर मान्यता को लेकर इतनी औपचारिकताएं करने की जरूरत ही क्या है?


पत्रिका : २८ सितम्बर २०१० 

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