गुरुवार, 30 सितंबर 2010

विनयनगर के खेल में शालिनी ताई भी छली गई

- बॉबी ने टिका दिया था सड़क का प्लॉट
- हाईकोर्ट के फैसले के बाद खुल रही परतें



झूठ की बुनियाद पर विनय नगर की चालीस फीट चौड़ी सड़क पर मकानों के नक्शे पास करने के केस में हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद परतें खुल रही हैं। गड़बड़ी में निगम के इंजीनियर परिवार के शामिल होने के बाद जानकारी मिली है कि जमीन के इस खेल में ख्यात शिक्षाविद शालिनी ताई मोघे भी ठगी जा चुकी हैं। मामले में भूमाफिया बॉबी छाबड़ा भी अहम किरदार हैं।

'पत्रिकाÓ ने रविवार के अंक में 'बागड़ खा गई खेतÓ शीर्षक से समाचार प्रकाशित करके खुलासा किया था कि निगम के पूर्व इंजीनियर अमृतलाल (अंबू) पटेल और मौजूदा इंजीनियर दीपक पटेल के परिवार ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सड़क के हिस्से को हथिया लिया। इस खेल में सरकारी विभागों ने उनकी हर स्तर पर मदद की। 'पत्रिकाÓ पड़ताल में साफ हुआ है कि सड़क पर काटा गया दूसरा प्लॉट (188-ए) हर्षा सतीश वाधवानी ने शालिनीताई से खरीदा था। ताई को यह प्लॉट बॉबी ने बेचा था। 

बॉबी ने बेहद चतुराई से रिश्तों को भुनाया
 बॉबी ने दस वर्ष पहले शालिनी ताई को उलझा था। बात 2000 की है, तब ताई 2/3 स्नेहलतागंज के स्वयं के मकान में रहती थीं। मकान जर्जर हो रहा था, इसलिए मोघे दंपत्ति (ताई और स्व. मोरेश्वर मोघे) ने उसे बेचने का मन बनाया। किसी परिचित ने बॉबी से मिलवाया। उसने मकान खरीदने के साथ ही वादा किया आपकी जमीन पर एक मल्टी बनाऊंगा और उसमें से एक फ्लैट आपको दूंगा। मल्टी बने तब तक आप मेरे 10, आदर्श नगर की तल मंजिल पर रहें। मोघे परिवार इस पर राजी हो गया। बॉबी ने कब्जा लिया और ताई आदर्श नगर में शिफ्ट हो गईं। बॉबी ने मल्टी बनाने के बजाए स्नेहलतागंज की जमीन नितिन पल्टनवाले को बेच दी, लेकिन ताई से किया वादा पीछे ही रह गया। चूंकि सारे वादे मौखिक थे, इसलिए ताई को फ्लैट नहीं मिल सका। इसी बीच बॉबी ने विनय नगर का उक्त प्लॉट (188-ए) ताई को दे दिया। ताई का परिवार इससे खुश था, लेकिन जब उन्होंने इस प्लॉट को बेचने की कोशिश की तो वह बिक नहीं सका। बाद में 2008 में बॉबी ने ही उसे बिकवाया। जो रुपया आया उसी से ताई ने 3/2 पगनीसपागा स्थित सीएमआर रॉयल रिजेंसी में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा। अभी वे वहीं रहती हैं।    

हमारे बीच में ज्यादा बात नहीं होती थी  
फिलहाल ताई खुश हैं और अपने क्षमाशील स्वभाव के मुताबिक कहती हैं बॉबी ने मुझे कोई तकलीफ नहीं दी। मैं उनके घर में रहती जरूर थी, लेकिन उनके परिवार और हमारे बीच में ज्यादा बातचीत नहीं होती थी। हम नीचे रहते थे और उनका परिवार ऊपर। बॉबी के पिता हम लोगों का खासा ध्यान रखते थे। मैं यह कभी नहीं भूल सकती कि मोघेजी (स्व. मोरेश्वर मोघे) की बीमारी में उनके परिवार ने हमारी पूरी मदद की थी। विनयनगर प्लॉट लफड़े के बारे में वे कहती हैं, मुझे इसकी बहुत जानकारी नहीं क्योंकि उस समय मोघेजी जिंदा थे और उन्होंने ही बॉबी से चर्चा की थी। 

पत्रिका : २७ सितम्बर २०१०

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