गुरुवार, 30 सितंबर 2010

ट्रांसपोर्ट कमिश्नर हाईकोर्ट में तलब

- सपनि बंद करने के विरोध में लगी दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई
- वैकल्पिक व्यवस्था पर सरकार के जवाब से अदालत असंतुष्ट 

मध्यप्रदेश सड़क परिवहन निगम बंद होने के साथ ही अंतर प्रांतीय, खासतौर से गुजरात से बसों का परिवहन बंद हो जाएगा। सरकार ने इसके विकल्प के तौर पर पर कोई इंतजाम नहीं किया है। इस पर मप्र हाई कोर्ट ने नाराजगी जताई है। कोर्ट ने डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को हाजिर होकर जवाब देने के आदेश दिए हैं।

सोमवार को दो जनहित याचिकाओं पर जस्टिस शांतनु केमकर एवं एसके सेठ की युगलपीठ में सुनवाई हुई। इसमें शासन की ओर से जवाब पेश किया गया। इसमें केवल स्टेटस रिपोर्ट बता दी कि वर्तमान में सपनि की क्या स्थिति है और कितनी बसें चल रही है। शासन के जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ। कोर्ट ने कहा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर यहां आकर जवाब दें। कोर्ट को बताया गया कि वे इसी संबंध में जबलपुर में लगी याचिका की सुनवाई में व्यस्त हैं। इस पर कोर्ट ने कहा 29 सितंबर को डिप्टी ट्रांसपोर्ट कमिश्नर को खुद आकर जवाब देने के आदेश दिए।

पांच दिन पहले लगी थी पीआईएल
सपनि बसें बंद होने से धार, झाबुआ, खंडवा, खरगोन सहित आदिवासी अंचल का गुजरात से संबंध ही समाप्त हो जाएगा। इसे लेकर पांच दिन पहले नारायण भायल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता चंपालाल यादव एवं मोहन कर्पे की ओर से अधिवक्ता अशोक कुटुंबले द्वारा दायर जनहित याचिका लगाई गई थी। याचिकाओं पर कोर्ट ने रा'य शासन एवं सपनि को 27 सितंबर को जवाब पेश करने के आदेश दिए थे। 


पत्रिका : २८ सितम्बर २०१०

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