- भ्रष्टाचार साबित करने वाले लीज सौदे के गवाह होने के बाद भी लोकायुक्त पुलिस ने नहीं की पूछताछ
- निगम उपयंत्री सुरेश चौहान हैं दूसरे गवाह
सुगनीदेवी कॉलेज परिसर की 100 करोड़ रुपए की तीन एकड़ जमीन के घोटाले में विधायक रमेश मेंदोला, तीन उद्योगपति और 13 अफसरों के खिलाफ लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर की खामियां एक-एक कर सामने आ रही हैं। जांच अफसरों ने धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्रीज के भागीदार विजय कोठारी और मनीष संघवी के दोस्त मनीष तांबी के लिखित बयान लिए परंतु उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय व विधायक रमेश मेंदोला के मित्र केके गोयल और इंदौर नगर निगम के उपयंत्री सुरेश चौहान से भी कोई पूछताछ नहीं की गई। गोयल व चौहान धनलक्ष्मी केमिकल्स और नंदानगर साख संस्था के बीच हुए जमीन सौदे के गवाह हैं। इस सौदे के कारण ही मेंदोला, कोठारी, संघवी समेत 17 लोगों पर भ्रष्टाचार और आपराधिक षडयंत्र रचने का केस दर्ज किया गया है।
लोकायुक्त पुलिस के दो चेहरे
पहला चेहरा
जांच के दौरान लोकायुक्त पुलिस ने 15 लोगों के बयान लिए। इसमें एक नाम मनीष तांबी का भी है। लोकायुक्त पुलिस ने तांबी को बयान लेने का कारण एक नक्शे को बताया है। सूत्रों के मुताबिक चर्चित जमीन पर धनलक्ष्मी केमि. ने आवासीय ईकाइयों जो नक्शा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से पास करवाया था, उस पर तांबी ने बतौर गवाह हस्ताक्षर किए थे।
दूसरा चेहरा
फरियादी सुरेश सेठ की शिकायत में नत्थी किए गए दस्तावेजों में लीज अधिकारों का विक्रय पत्र भी मौजूद था। इस पर मेंदोला, कोठारी और संघवी के साथ ही केके गोयल और सुरेश चौहान के हस्ताक्षर भी हैं। चूंकि इसी सौदे के आधार पर भ्रष्टाचार साबित हुआ है, इसलिए इन लोगों से बयान लेना लोकायुक्त पुलिस की जिम्मेदारी था।
कैलाश-मेंदोला के मित्र हैं गोयल
केके गोयल विजयवर्गीय और मेंदोला के मित्र हैं। वे विकास अपार्टमेंट हाउसिंग सोसाइटी के भंग संचालक मंडल में मेंदोला के साथ ही सदस्य भी हैं। इस दागी सोसाइटी की जांच चल रही है। आरोप है कि संचालकों ने सदस्यों के उपयोग की 9 एकड़ जमीन भवन्स प्रोविनेंट स्कूल को लीज पर दी है। अवैध मल्टियों के कारण विवादित हुए आलोक नगर की जमीन भी इसी सोसाइटी की है।
News in Patrika on 9th August 2010
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें