अलिराजपुर की तरह ही देवास जिले में भी फर्जी रजिस्ट्रियां हुई हैं। इस बात की पुष्टि मंगलवार तक हुई जब नर्मदा घाटी बने सरदार सरोवर बांध के संबंध में मप्र सरकार द्वारा विस्थापितों को दिए गए पुनर्वास पैकेज में हुए कथित भ्रष्टाचार और फर्जी रजिस्ट्री मामले के लिए गठित जस्टिस एसएस झा आयोग की इंदौर में सुनवाई शुरू हुई। देवास जिले के बागली तहसील के शिकायतकर्ताओं ने आयोग के समक्ष बयान दिए। इस मौके पर नर्मदा बचाओ आंदोलन की मेधा पाटकर भी मौजूद थीं। सुनवाई 11 अगस्त तक होगी।
देवास जिले में 2006 से 08 तक की गई 11 रजिस्ट्रियों की जांच हुई। खातेगांव के विक्रेता रमेश पिता रामरतन व क्रेता सुरेश पिता हरीसिंह (उरदना मनावर) की खरीदी बिक्री में फोटो के साथ कई बातें फर्जी पाईं गईं। एक अन्य मामले में गुराड़दा निवासी शांताबाई मांगीलाल की करीब छह हेक्टेयर जमीन बगैर जानकारी के तीन व्यक्तियों का बाचने की बात समाने आई। आयोग को बताया गया कि शांताबाई की जमीन किसी और महिला का फोटो लगाकर बेच दी गई। अलीराजपुर जिले में भी आयोग को सुनवाई के दौरान ऐसे ही मामले मिले थे। सुनवाई की बहस में एनवीडीए अधिकारी, एसडीएम, रजिस्ट्रार मौजूद थे।
300 करोड़ का है मामला
नर्मदा बचाओ आंदोलन के मुताबिक 2500 से अधिक फर्जी रजिस्ट्रियां हुईं, जिस पर करीब 300 करोड़ शासन की तिजोरी से व्यर्थ गए। दलालों और अफसरों ने जमीन हड़पकर विस्थापितों को भूमिहीन कर छोड़ा। मप्र सरकार भी मान चुकी है कि 750 से अधिक रजिस्ट्रियां फर्जी हैं। हर मामले में सरकार की ओर से साढ़े पांच लाख रुपए का भुगतान किया गया है।
News in Patrika on 4th August 2010
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