मंगलवार, 28 सितंबर 2010

झूठ की बुनियाद पर हुआ पीथमपुर में कचरे का फैसला

- गुजरात सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए हलफनामे में रामकी कंपनी ने दी गलत जानकारी

भोपाल में रखे यूनियन कार्बाइड के कचरे को गुजरात के अंकलेश्वर के बजाए मध्यप्रदेश के पीथमपुर में लाए जाने के फैसले की बुनियाद झूठी है। सुप्रीम कोर्ट में गुजरात सरकार ने जो हलफनामा पेश किया था, उसमें रामकी इनवारो इंजीनियर्स का एक पत्र लगाकर कर दावा किया गया था कि पीथमपुर में स्थापित प्लांट में कचरा भस्म करने की तमाम तकनीकी सुविधाएं मौजूद हैं, लेकिन असल में ऐसा नहीं था। उस वक्त न तो प्लांट शुरू हुआ था और न ही होने की तैयारी ही थी।

गुजरात सरकार की ओर से गुजरात प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अधिकारी आरसी तंबोली ने 13 अप्रैल 2009 को सुप्रीम कोर्ट हलफनामा पेश किया था। इसमें 15 जनवरी 2009 को गुजरात सरकार को रामकी इनवायरो द्वारा लिखा पत्र भी दिया गया। रामकी के वाइस प्रेसीडेंट डॉ. के. श्रीनिवास ने इसमें लिखा था कि पीथमपुर में लगे कंपनी का प्लांट फरवरी के दूसरे सप्ताह में पूरी तरह से शुरू हो जाएगा और हम गुजरात सरकार से हर महीने 300 मेट्रिक टन औद्योगिक कचरा लेकर उसे भस्म करना शुरू कर देंगे। असलियत यह है कि वर्तमान में भी यह प्लांट शुरू नहीं हुआ है, जबकि इसी को एक आधार बनाकर गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का फैसला अपने हक में करवा लिया।


पीथमपुर में यूका कचरा जलाए जाने के विरोध की अगुवाई करने वाले संगठन लोकमैत्री का कहना है गुजरात सरकार ने बेहद चतुराई से यह फैसला करवाया है। वहां की सरकार ने अंकलेश्वर के भस्मक को कमजोर बताते हुए कहा है कि इसमें लीकेज है। यदि ऐसा है, तो वहां की सरकार उसे बंद क्यों नहीं कर रही है। साफ दिखता है कि यूका का कचरा टालने के लिए ही हलफनामा तैयार किया गया।

रामकी कंपनी का पत्र नहीं जाता, तो पीथमपुर में कचरा भस्म करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट फैसला ही नहीं सुनाता। 
- डॉ. गौतम कोठारी, लोकमैत्री संगठन

 पत्र डॉ. के. श्रीनिवास ने लिखा था और वे अब हमारी कंपनी में नहीं हैं। उन्होंने यह पत्र क्यों और किन परिस्थितियों में गुजरात सरकार को भेजा, यह तो वे ही जानते होंगे।
 अमित चौधरी, प्रभारी, रामकी सयंत्र, पीथमपुर


भस्मक बंद, कचरा भी नहीं
रामकी सयंत्र पर लगा भस्मक फिलहाल बंद है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने ट्रायल रन के लिए कंपनी को अनुमति दी थी। दस दिन पहले ही ट्रायल रन समाप्त हुआ। इसके बाद प्लांट को फिर से शुरू करने के लिए बोर्ड से अनुमति की जरूरत है। भस्मक प्रबंधन ने बताया मई से अब तक 1700 मेट्रिक टन कचरा जलाया जा चुका है और फिलहाल कचरा भी मौजूद नहीं है।

ढाई महीने का ठंडा बस्ता
पीथमपुर में कचरा लाने का विरोध जब चरम पर पहुंचा तो 9 अगस्त को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जारी किया था कि इंदौर के लोगों की सहमति के बगैर कचरा पीथमपुर में नहीं लाया जाएगा। उधर, 10 अगस्त को केंद्रीय पर्यावरण राज्य मंत्री जयराम रमेश ने पीथमपुर पहुंचकर लोगों से वादा किया था कि एक उ'च स्तरीय कमेटी बनेगी, जो अंतिम फैसला करेगी। न तो मुख्यमंत्री ने अब तक इंदौर के लोगों से चर्चा की है और न ही जयराम ने कमेटी की घोषणा।




 पत्रिका : २४ सितम्बर २०१०

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