मंगलवार, 28 सितंबर 2010

100 करोड़ के घोटाले की अंतिम रिपोर्ट आज

कैलाश के खातिर लोकायुक्त पुलिस विशेष न्यायाधीश से मांग सकती है और मोहलत

सुगनीदेवी कॉलेज परिसर की 100 करोड़ रु. के जमीन घोटाले के मामले में मंगलवार को लोकायुक्त पुलिस द्वारा विशेष न्यायाधीश के समक्ष तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका को लेकर अंतिम रिपोर्ट पेश की जाना है। कोर्ट द्वारा दिए गए 45 दिन के समय में जांच एजेंसी से क्या सबूत जुटाए हैं, इस पर सभी की निगाहें हैं। पांच महीने से चल रहे इस केस में लोकायुक्त पुलिस अब तक पर्याप्त समय मांग चुकी है। खासकर कैलाश के खिलाफ। संकेत है कि इस बार भी लोकायुक्त पुलिस द्वारा जांच और सबूतों के नाम पर समय मांगा जाएगा। 

कांग्रेस नेता सुरेश सेठ की शिकायत पर विशेष न्यायाधीश के आदेश से लोकायुक्त पुलिस ने 6 अप्रैल को मामले की जांच शुरू की थी। लोकायुक्त पुलिस ने 5 अगस्त को नंदानगर साख संस्था अध्यक्ष व विधायक रमेश मेंदोला, धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्रीज के नगीनचंद्र कोठारी, विजय कोठारी, मनीष संघवी और 13 अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार व आपराधिक षडय़ंत्र रचने का केस दर्ज किया था। पिछली सुनवाई (6 अगस्त) पर कोर्ट में सेठ ने लोकायुक्त पुलिस पर आरोप लगाया था कि जानबूझकर आरोपी क्रमांक दो (कैलाश विजयवर्गीय) को बचाने की कोशिश हो रही है। इस आरोपी के बारे में स्थिति स्पष्ट की जाना चाहिए। इसी पर कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को 21 सितंबर तक केस में अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था।  

क्या हो सकता है
  • जांच पूरी नहीं हो पाने के कारण लोकायुक्त पुलिस एक बार फिर समय मांग सकती है।
  • अगर जांच पूरी हो गई है तो गोपनीय रिपोर्ट पर निर्भर रहेगा कि कैलाश को दोषी पाकर एफआईआर दर्ज की गई या क्लीनचिट दी गई।
  • हो सकता है इस मामले में लोकायुक्त पुलिस द्वारा नए दिशा-निर्देश मांगे जा सके।


डेढ़ महीने में नोटिस भी नहीं भेजा
- छह अगस्त को एफआईआर दर्ज करके लोकायुक्त पुलिस ने ठंडे बस्ते में डाल दिया केस
सुगनीदेवी कॉलेज परिसर की 100 करोड़ रु. के जमीन घोटाले के केस में डेढ़ महीने पहले लोकायुक्त पुलिस ने विधायक रमेश मेंदोला, तीन उद्योगपतियों नगीनचंद्र कोठारी, विजय कोठारी व मनीष संघवी तथा 13 अफसरों के खिलाफ भ्रष्टाचार व आपाराधिक षडयंत्र रचने की एफआईआर तो दर्ज की थी। परंतु इस पर अगला कदम आज तक नहीं उठाया गया है। किसी भी आरोपी को अब तक न तो नोटिस दिया गया है और न ही कोई पूछताछ ही की गई।

लोकायुक्त पुलिस ने प्रारंभिक जांच में माना है कि तीन एकड़ जमीन के लिए धनलक्ष्मी केमिकल्स और नंदानगर साख संस्था के बीच हुए सौदे में 17 लोगों ने मिलकर षडय़ंत्र किया और इससे सरकार को करीब पौने तीन करोड़ रुपए की चपत लगी। इसी आधार पर 5 अगस्त को एफआईआर दर्ज की गई, परंतु इसके बाद चालान पेश करने को लेकर रवैया ठंडा ही है। अफसर चालान के लिए आरोपियों के खिलाफ जांच, दस्तावेज के नाम लंबी प्रक्रिया बताते हैं। सही मायने में शुरुआत हुई या नहीं। इसे लेकर 'पत्रिकाÓ ने जिन 17 लोगों पर केस दर्ज हुआ उनमें से कुछ से बात की तो पता चला कि इस मामले में अभी कोई गति ही नहीं है। 


मुझे अब तक न तो कोई नोटिस मिला है और न ही एफआईआर की प्रतिलिपि। जो भी मालूम हुआ है, वह अखबारों के जरिए ही पता चला है।
हंसकुमार जैन, सिटी इंजीनियर, निगम

कुछ माह पहले लोकायुक्त पुलिस ने बयान के लिए बुलाया था। केस दर्ज होने के बाद इस संबंध में मुझसे न कोई संपर्क किया और न ही किसी प्रकार का नोटिस मिला। मेरा तो यही सवाल है कि भला बताए कि मेरा दोष क्या है आरोप क्या है?
अशोक बैजल, रिटायर्ड भवन अधिकारी

सुगनीदेवी कॉलेज की जमीन गड़बड़ी में मुझ पर भी लोकायुक्त पुलिस ने केस दर्ज किया। यह मुझे मीडिया के माध्यम से ही पता चला। पूरा मामला क्या है मुझे ही नहीं पता। जो आरोप लगाए गए हैं वे विरोधभासी हैं। केस दर्ज होने के बाद लोकायुक्त पुलिस की ओर से मुझे न नोटिस मिला न संपर्क किया गया।
नरेंद्र सुराणा, रिटायर्ड कार्यपालन यंत्री  



तारीख -पे- तारीख

अप्रैल
जांच के लिए तीन माह का समय दिया

कोर्ट ने 6 अप्रैल को तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय, नंदानगर साख सहकारी संस्था के अध्यक्ष रमेश मेंदोला, धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्रीज के भागीदार मनीष संघवी व विजय कोठारी की भूमिका की जांच कर दोषी पाए जाने पर कार्रवाई को लेकर तीन महीने का समय दिया था। इसके लिए 6 जुलाई को रिपोर्ट पेश की जानी थी।
जुलाई
फिर समय मांग लिया

 6 जुलाई को लोकायुक्त पुलिस ने कोर्ट में बताया कि जांच पूरी नहीं हुई है। इसके लिए तीन माह समय मांगा गया। इस पर परिवादी व पूर्व मंत्री सुरेश सेठ ने आपत्ति ली व लोकायुक्त अफसरों पर राजनीतिक दबाव का आरोप लगाया। इसके बाद कोर्ट ने लोकायुक्त पुलिस को फिर एक माह का समय दिया गया।
अगस्त
मुख्य कर्ताधर्ता कैलाश का नाम छोड़ दिया

6 अगस्त को लोकायुक्त पुलिस ने नंदानगर साख सहकारी संस्था के अध्यक्ष व तत्कालीन एमआईसी सदस्य रमेश मेंदोला, धनलक्ष्मी केमिकल इंडस्ट्रीज के भागीदार मनीष संघवी व विजय कोठारी सहित 17 लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं में केस दर्ज करने के साथ रिपोर्ट विशेष न्यायाधीश के समक्ष पेश की थी। तब परिवादी व पूर्व मंत्री सुरेश सेठ ने तत्कालीन महापौर कैलाश विजयवर्गीय का नाम हटाने को लेकर आपत्ति ली थी और आरोप लगाए थे। तब अफसरों ने कहा था कि कैलाश के खिलाफ जांच चल रही है। इसके लिए कोर्ट से चार माह का समय मांगा था जिस पर डेढ़ माह का समय दिया गया था।
...और अब सितंबर
इस तरह करीब साढ़े पांच महीने से जांच चल रही है। कैलाश किन-किन आधारों पर दोषी हो सकते हैं इसे लेकर सेठ प्रमाणित साक्ष्यों का पुलिंदा पेश कर चुके हैं। उधर, लोकायुक्त पुलिस पूर्व में भी कई दस्तावेज जुटा चुकी है। 'पत्रिकाÓ कैलाश के खिलाफ आरोपों के बिंदुओं को सोमवार को उल्लेख कर चुकी है। ऐसे में अब सबकी नजरें कैलाश को लेकर लोकायुक्त की रिपोर्ट पर टिकी है।









पत्रिका : २१ सितम्बर २०१०

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