मंगलवार, 28 सितंबर 2010

चौतरफा घिरे ड्रग ट्रायल वाले डॉक्टर

- विधानसभा, ईओडब्ल्यू, लोकायुक्त, मानवाधिकार आयोग, एमसीआई, आयकर के साथ ही यूएसएफडीए ने लिया संज्ञान

बहुराष्टरीय दवा कंपनियों द्वारा विकसित दवा का मरीजों पर प्रयोग (ड्रग ट्रायल) करने वाले एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर चौतरफा घिर गए हैं। लोकायुक्त, आर्थिक अपराध अनुसंधान ब्यूरो, मानवाधिकार आयोग, आयकर और मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ ही यूनाइटेड स्टेट्स के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (यूएसएफडीए) ने इसे बेहद गंभीर मानकर जांच शुरू कर दी है। यूएसएफडीए ने इस संबंध में भारत सरकार को पत्र भेजा है। 

'पत्रिकाÓ ने ही ड्रग ट्रायल का खुलासा करके बताया था कि कॉलेज से जुड़े एमवाय अस्पताल और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में आने वाले रोगियों को अंधेरे में रखकर ट्रायल किए जा रहे हैं। इसके बाद मामला विधानसभा पहुंचा और मध्यप्रदेश सरकार ने कानूनी बंदिश के लिए एक कमेटी का गठन किया। चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुïख सचिव आईएस दाणी की अध्यक्षता में बनी यह कमेटी ट्रायल को नियंत्रित  करने के लिए केंद्र सरकार और दूसरे राज्यों के कानूनी प्रावधानों की पड़ताल कर रही है।

 51 रोगियों पर दुष्प्रभाव
ड्रग ट्रायल से रा'य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में 51 रोगियों पर साइड इफेक्ट हुए हैं। ये मरीज पिछले पांच वर्ष में कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में इलाज ले रहे थे। यह जानकारी विधानसभा से जारी एक दस्तावेज में उजागर हुई है। सरकार ने विधानसभा को बताया था कि पांच वर्ष में 2365 रोगियों पर ट्रायल हुआ। इसमें 1644 ब'चे और 721 वयस्क हैं। जिन मरीजों पर दुष्प्रभाव हुए हैं, उनके नाम अभी जाहिर नहीं किए गए हैं। आशंका है कि इनमें से कुछ की मौत हो चुकी है।

मरीज की सेहत और डॉक्टर के एकाउंट पर नजर

यूएसएफडीए
'पत्रिकाÓ के खुलासे के बाद रशिया टीवी ने एमवाय अस्पताल में ट्रायल को लेकर एक खबर अंतरराष्टï्रीय स्तर पर प्रसारित की थी। रिपोर्ट में जिक्र था कि अमेरिकन कंपनियों की शह पर यहां गरीब मरीजों पर प्रयोग हो रहे हैं। इसी पर यूएसएफडीए ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर मध्यप्रदेश में हुए ट्रायल का विस्तृत ब्यौरा मांगा है।

विधानसभा
विधायक पारस सकलेचा, प्रताप ग्रेवाल और प्रद्युम तोमर ने विधानसभा में पांच सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हो रहे ट्रायल को लेकर जो सवाल पूछे थे। उनके जवाब आज तक  सरकार ने नहीं दिए हैं। मानसून सत्र में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने कहा था ट्रायल को काबू करने के लिए सरकार कानून बनाना चाहती है।

ईओडब्ल्यू
स्वास्थ्य सेवा समर्पण सेवा समिति अध्यक्ष डॉ. आनंद राजे की शिकायत पर भोपाल ईओडब्ल्यू ने डॉ. अपूर्व पुराणिक, डॉ. अनिल भराणी, डॉ. सलिल भार्गव, डॉ. अशोक वाजपेयी, डॉ. हेमंत जैन और डॉ. पुष्पा वर्मा के खिलाफ जांच शुरू कर रखी है। सभी डॉक्टरों के एकाउंट की जांच जारी है।

लोकायुक्त
ट्रायल करने वाले डॉक्टरों, एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और एथिकल कमेटी के सदस्यों के खिलाफ लोकायुक्त में भी शिकायत हो चुकी है। आरोप है कि सभी ने मिलकर गरीब और अनपढ़ मरीजों की जान जोखिम में डाली है। लोकायुक्त ने शिकायतकर्ता राजेंद्र के. गुप्ता को 14 अक्टूबर को भोपाल बुलाया है।

मानवाधिकार आयोग
'पत्रिकाÓ में प्रकाशित खबरों पर संज्ञान लेकर  मप्र मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस डीएम धर्माधिकारी, सदस्य जस्टिस एके सक्सेना व जस्टिस वीके शुक्ल ने एमवायएच अधीक्षक डॉ. सलिल भार्गव को नोटिस भेजा है। आयोग जानना चाहता है कि मरीजों के अधिकारों का हनन तो नहीं हो रहा।

आयकर
'पत्रिकाÓ में प्रकाशित खबरों के आधार पर आयकर विभाग ने मेडिकल कॉलेज डीन डॉ. एमके सारस्वत से उन सभी डॉक्टरों की आय का ब्यौरा मांगा है, जो ट्रायल में लिप्त हैं। विभाग की जिज्ञासा इसमें है कि कहीं डॉक्टरों ने बेनामी संपत्ति तो नहीं जुटा ली। 

एमसीआई

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया को जो शिकायत भेजी गई थी, उसी पर मप्र के चिकित्सा शिक्षा संचालक से पूरा ब्यौरा मांगा गया है। सभी मेडिकल कॉलेज इसका जवाब तैयार कर रहे हैं। 'पत्रिकाÓ पूर्व में ही यह जानकारी प्रकाशित कर चुका है।








पत्रिका : २१ सितम्बर २०१०

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