मंगलवार, 28 सितंबर 2010

कुपोषित ब'चों को अंडे नहीं परोसेगी सरकार

कुपोषित ब'चों को अंडे नहीं परोसेगी सरकार
- शाकाहार को बढ़ावा देने के खातिर उठाया कदम
 


शाकाहार को बढ़ावा देने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने फैसला किया है कि कुपोषित ब'चों को तंदुरस्त करने के लिए उन्हें अंडे नहीं परोसे जाएंगे। दूध, आलू, केले, सोया दूध जैसे खाने से ही उन्हें सेहतमंद बनाया जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा तैयार अटल बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन की मेनू लिस्ट में इस संबंध में संशोधन किया जाएगा।

यह जानकारी स्वास्थ्य राज्य मंत्री महेंद्र हार्डिया ने गोयल नगर दिगंबर जैन समाज के क्षमावाणी समारोह में दी। हार्डिया कुछ दिन पहले मंदिर में दर्शन करने आए थे, तब समाज की ओर से दिलीप पाटनी और ब्रह्मचारी सनत भैया ने अंडा परोसने वाली इस योजना की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया था। गुरुवार को हार्डिया ने बताया मुख्यमंत्री से इस संबंध में चर्चा हो चुकी है और पोषण सूची से अंडे का हटाने का निर्णय हो चुका है। 

जैन समाज से फूटा था विरोध
अंडा परोसने को लेकर प्रदेशभर के जैन समाज से भी विरोध के स्वर उठे थे। बुदेंलखंड के जैन धर्मालंबियों ने इसे ब'चों को मांसाहार के लिए प्रेरित करने का कदम बताया था।


हाईरिस्क क्षेत्रों के लिए थी योजना
2 अक्टूबर से पूरे राज्य में शुरू होने वाले अटल बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन शुरू होगा। इसमें 142 विकासखंडों को हाईरिस्क क्षेत्र माना गया है। इनके लिए विशेष पैकेज घोषित किया गया है। यहां के ब'चों को तीन वक्त का भोजन दिया जाना प्रस्तावित है। इसी में तीसरे भोजन के मेनू में अंडे का जिक्र किया गया था।



मध्यप्रदेश पर कुपोषण के दाग
- एक हजार में से 70 शिशुओं की मौत होती है।
- इनमें से 45 नवजात होते हैं।
- पांच वर्ष तक के ब'चों में से 60 फीसदी का वजन औसत से कम है।
- तीन से छह महीने तक ब'चों में से 40 फीसदी का ही टीकाकरण हो पाता है।
- सबसे अधिक कुपोषण आदिवासियों और दलित ब'चों में पाया गया है।
- कुपोषण में मध्यप्रदेश का देश में दूसरा स्थान है।
(नेशनल फेमेली हेल्थ सर्वे -3 के मुताबिक)

पत्रिका :  २४ सितम्बर २०१० 

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