मंगलवार, 28 सितंबर 2010

दिलीप पाटीदार केस में फैसला सुरक्षित

- बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका में उठी थी सीबीआई जांच की मांग 
- मालेगांव ब्लॉस्ट


मालेगांव ब्लॉस्ट मामले में करीब पौने दो वर्ष से रहस्यमय तरीके से लापता दिलीप पाटीदार को लेकर चल रही बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है। याचिका में मांग की गई है कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से केस की जांच करवाई जाए।

11 नवंबर 2008 को मुंबई एटीएस का दल खजराना क्षेत्र की शांतिविहार कॉलोनी से दिलीप पाटीदार को मालेगांव ब्लास्ट मामले में ले गया था। एटीएस का कहना है कि पाटीदार को 18 नवंबर को छोड़ दिया गया, लेकिन इसके बाद से वह आज तक लापता है। दिलीप के भाई रामस्वरूप ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगाई, जिस पर सुनवाई चल रही थी। पाटीदार की एडवोकेट रितु भार्गव और भुवन देशमुख और एटीएस एडवोकेट वी. वगाड़े गुरुवार को जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष उपस्थित हुए।

एडवोकेट रितु भार्गव ने बताया कोर्ट से सीबीआई जांच की मांग की गई थी, क्योंकि रा'य सरकार और मुंबई एटीएस इस मामले में अब तक कोई परिणाम नहीं दे सकी है। इसी पर कोर्ट ने सहायक सोलिसिटर जनरल विवेक शरण के जरिए केस की फाइल सीबीआई को भेजी थी। पिछली सुनवाई पर सीबीआई ने इस मामले में जांच करने से अनि'छा जाहिर की थी। 

पत्रिका : २४ सितम्बर २०१०

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