मंगलवार, 28 सितंबर 2010

सरकार ने रोडवेज का क्या विकल्प तैयार किया?

- एमपीएसआरटीसी बंद करने के फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट से नोटिस जारी
- सरकार-निगम को पांच दिन में देना होगा जवाब

मध्यप्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (एमपीएसआरटीसी) को 30 सितंबर से पूरी तरह बंद करने के राज्य सरकार के फैसले के विरूद्ध हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ में बुधवार को एक जनहित याचिका मंजूर कर ली गई। जस्टिस शांतनु केमकर और जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की युगलपीठ ने सरकार और निगम से पूछा है कि बसें बंद करने के विकल्प में क्या इंतजाम किए गए हैं? सरकार को पांच दिन में जवाब देना होगा।

धार जिले के कुक्षी के निवासी नारायण भायल ने यह याचिका दायर की। उनकी पैरवी करते हुए वरिष्ठ एडवोकेट चंपालाल यादव ने कोर्ट को बताया खंडवा, खरगोन, बड़वानी से हजारों लोग हर दिन गुजरात के दाहोद, गोदरा जाते-आते हैं। एमपीएसआरटीएस के बंद होने के बाद गुजरात व मध्यप्रदेश सरकार के बीच के अनुबंध के चलते वहां मध्यप्रदेश की बसों का प्रवेश बंद हो जाएगा। लोक परिवहन उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन इस फैसले से जनता का यह मौलिक अधिकार छिन रहा है। सरकार के फैसले से चिकित्सा, व्यापार, मजदूरी और पारिवारिक कार्यों के लिए गुजरात जाने वाले लोगों के रास्ते रूक जाएंगे। कोर्ट ने इन तर्कों के आधार पर अतिरिक्त महाधिवक्ता एलएन सोनी और एडवोकेट गिरीश पटवर्धन को क्रमश: राज्य सरकार और एमपीएसआरटीएस को आदेश दिया कि 27 सितंबर तक जवाब पेश करें। 


 पत्रिका : २३ सितम्बर २०१०

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