मंगलवार, 28 सितंबर 2010

काले कारनामों पर पोत दी कालिख

- एमजीएम मेडिकल कॉलेज में सूचना का अधिकार का माखौल
- कालिख पोत को जानकारी देने का संभवत: देश का पहला मामला


एमजीएम मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने सूचना का अधिकार कानून का माखौल उड़ाते हुए एकाउंट से जुड़े एक दस्तावेज पर जानबूझकर कालिख पोत दी। आवेदक को यह जानकारी देते हुए कालिख पोतने का जिक्र भी प्रबंधन ने किया है। सूचना का अधिकार का इस तरह से मजाक बनाने की संभवत: यह देश का पहला मामला है।

मामला बहुराष्टरीय दवा कंपनियों द्वारा विकसित दवाओं के मरीज पर प्रयोग (ड्रग ट्रायल) से जुड़ा है। स्वास्थ्य समर्पण सेवा समिति के सदस्य डॉ. आनंद राय ने कॉलेज के विभिन्न विभागों को ट्रायल के लिए मिले रुपए की ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी। मेडिसिन विभाग ने वर्ष 2010 की ऑडिट रिपोर्ट तो दी लेकिन कई महत्वपूर्ण आंकड़ों पर कालिख पोत दी। ऑडिट रिपोर्ट सरिता मूंदड़ा ने तैयार की है। मूंदड़ा के पते और फोन नंबर पर भी कालिख पोती गई है। साथ ही कवरिंग पत्र में यह भी लिख दिया कि आवेदन द्वारा चाही गई जानकारी से यह संबंधित नहीं है, इसलिए इस पर काले रंग का प्रयोग करके इसे अपठनीय बनाया गया है। उधर, आवेदक का कहना है मैंने संपूर्ण ऑडिट रिपोर्ट मांगी थी, इसलिए उसका सीधा-सीधा मेरे आवेदन से संबंध है। ट्रायल के नाम पर हुए हेरफेर को छुपाने के लिए यह कार्रवाई की है। इसके विरूद्ध मैं संचालक चिकित्सा शिक्षा को अपील कर रहा हूं।

साढ़े 13 लाख का हिसाब छुपाया
ऑडिट रिपोर्ट में स्पष्ट है कि 31 मार्च 2010 तक मेडिसिन विभाग की साइंटिफिक कमेटी के खाते में 13.47 लाख रुपए आए हैं। कालिख से यह छुपा लिया गया है कि यह किन लोगों में बंटा।



जानकारी छुपाने वाले विभाग पर गंभीर आरोप

मेडिसिन विभाग के डॉ. अनिल भराणी, डॉ. आशीष पटेल, पूर्व एचओडी डॉ. अशोक वाजपेयी पर गंभीर आरोप है कि इन्होंने राज्य सरकार को जानकारी दिए बगैर ट्रायल करके अकूत संपत्ति जुटाई है। डॉ. भराणी और डॉ. पटेल ने तो एक ट्रायल के लिए एमजीएम मेडिकल कॉलेज को स्पांसर कंपनी बताने तक का खेल कर दिया है।

'संभवत: यह देश का पहला मामला है, जब जानकारी पर कालीख पोती गई है। नि:संदेह जानकारी छुपाने की कोशिश के चलते यह कदम उठाया होगा। वही जानकारी छुपाई जा सकती है, जिससे शांति भंग होने या देश की गोपनीयता को खतरा हो। हम इसे राष्टï्रीय स्तर पर बहस का मुद्दा बनाएंगे।
- रोली शिवहरे, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता

'आवेदक को इसके विरूद्ध अपील करना चाहिए। साथ ही जिस दस्तावेज पर कालिख पोती गई है, उसके लिए फिर से आवेदन लगाना चाहिए।
- गौतम कोठारी, सूचना का अधिकार कार्यकर्ता

पत्रिका : २१ सितम्बर २०१०

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